इधर, स्कूल में बालिका वर्ग के साथ बालक भी पढ़ाई करें, इसके लिए जिले के स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा प्रचार-प्रसार भी नहीं किया गया। अफसरों द्वारा लापरवाही बरती गई। जिम्मेदारों की इस उदासीनता के कारण छात्रों को दूसरे स्कूल में पढ़ाई करने जाना पड़ रहा है।
साल 2010-2011 में कन्या स्कूल से हुआ था उन्नयन
जानकारी के अनुसार शेर चौक पर संचालित शासकीय पुरवार कन्या माध्यमिक शाला की यह स्कूल शाखा है। छात्राओं की संख्या बढ़ जाने के कारण इस स्कूल का साल 2010-2011 में उन्नयन हो गया। माध्यमिक शाला से हाइस्कूल बन गई, लेकिन दस्तावेज में कहीं पर यह नहीं लिखा गया कि इसमें सिर्फ बालिकाओं को ही प्रवेश दिया जाएगा। स्कूल का उन्नयन राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा मिशन के तहत हुआ था।
पेशोपेश में जिम्मेदार
शिवनगर में संचालित शासकीय पुरवार हाइस्कूल कन्या शाला है या कोएड है। इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग के अफसर कोई स्पष्ट जबाव नहीं दे पा रहे है। सूत्रों की मानें तो विभागीय अफसर चाहते ही नहीं है कि स्कूल में बालक वर्ग को भी प्रवेश दिया जाए। इसके साथ ही शेर चौक में संचालित शासकीय पुरवार कन्या स्कूल का नाम भी नहीं बदला गया। इस स्कूल में बालक व बालिका वर्ग दोनों को दाखिला तो दिया जाता है, लेकिन स्कूल को कन्या शाला के नाम ही जाना जाता है। ऐसे में कई छात्र व अभिभावक ऐसे भी है जो स्कूल का नाम देखकर लौट जाते है। भ्रम की स्थिति में रहते हैं।
उन्नयन होने से पहले स्कूल में सिर्फ बालिकाओं को ही प्रवेश मिलता था। उन्नयन होने के बाद स्कूल में बालिका वर्ग के अलावा बालक वर्ग नहीं पढ़ सकते है ऐसा कही भी रिकार्ड में दर्ज नहीं है। शाला का उन्नयन शासकीय पुरवार हाइस्कूल के नाम से हुआ है। इस संबंध में अधिकारियों से मार्गदर्शन मांगा जाएगा।
आलोक पाठक, प्राचार्य, शासकीय पुरवार हाइस्कूल।
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