ड्राइंग बदलते हुए 45-45 मीटर पिलर का प्रापोजल 2016 में भेजा और 2017 में नई ड्राइंग डिजाइन पास होने के बाद निर्माण शुरू हुआ। इस बीच काम चल ही रहा था कि 24 जुलाई 2019 को पुल धंसक गया। तत्कॉलीन पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने पुल धंसकने के कारणों की जांच के लिए टीम गठित की और 27 जुलाई से सेतु निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता एआर सिंह के नेतृत्व में जांच प्रारंभ हुई।
प्रारंभिक जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि पुल निर्माण के दौरान ठेकेदार राम सज्जन शुक्ला द्वारा निर्धारित मात्रा में सामग्री का उपयोग नहीं किया गया। स्लैब ढलाई के कांक्रीट में गिट्टी मात्रा अधिक थी, सीमेंट का उपयोग की कम मात्रा में होने के कारण केबिल स्टेचिंग के दौरान तेज धमाके के साथ पुल धसक गया। ठेकेदार द्वारा कार्य की मॉनीटरिंग न किए जाने के कारण इंजीनियर व कर्मचारियों ने अपने हिसाब से स्लैब को ढलवा दिया और यह हादसा हो गया।
पुल धंसकने के एक साल बाद 30 जून-1 जुलाई की रात 12.50 बजे रायपुर की ड्रिलिंग एंड ब्लास्टिंग एजेंसी द्वारा डायनामाइट से कटनी नदी पुल के अधूरे निर्माण को तोड़ा गया। अब चार माह बाद एक बार फिर से पुल निर्माण की तैयारी प्रारंभ हुई है।