scriptयहां मेडिकल तो छोड़िए किराना से लेकर मनिहारी दुकान में बिक रहीं ये नशीली दवाएं, जिस विभाग पर रोक लगाने की जिम्मेदारी वह अनजान | Business of increased addiction drugs in Katni | Patrika News

यहां मेडिकल तो छोड़िए किराना से लेकर मनिहारी दुकान में बिक रहीं ये नशीली दवाएं, जिस विभाग पर रोक लगाने की जिम्मेदारी वह अनजान

locationकटनीPublished: Jun 06, 2019 11:49:04 am

Submitted by:

balmeek pandey

नशीली दवाओं का गढ़ बन रहे कटनी में आने वाले समय में उड़ता पंजाब जैसी स्थिति निर्मित हो जाए तो आश्चर्य नहीं होगा। यहां मनिहारी से लेकर किराने की दुकान में खुलेआम नशीली दवाएं बिक रही हैं । जिन्हें इन दवाओं का सेवन नशे के रूप में करना है, उन्हें तो दुकान और स्थान पता है। यह अलग बात है कि इससे खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग अंजान है।

Young people using cheap drugs being sold in the city

Young people using cheap drugs being sold in the city

कटनी. नशीली दवाओं का गढ़ बन रहे कटनी में आने वाले समय में उड़ता पंजाब जैसी स्थिति निर्मित हो जाए तो आश्चर्य नहीं होगा। यहां मनिहारी से लेकर किराने की दुकान में खुलेआम नशीली दवाएं बिक रही हैं । जिन्हें इन दवाओं का सेवन नशे के रूप में करना है, उन्हें तो दुकान और स्थान पता है। यह अलग बात है कि इससे खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग अंजान है। फेंसीड्रिल, कोरेक्स, रेस्केप सहित ऐसी दवाएं जिनका उपयोग नशे के रूप में हो रहा है। इन दवाओं को लिखने से डॉक्टरों के परहेज करने के बाद बिक्री में कहीं कोई कमीं नहीं आ रही। नशे के बढ़ते कारोबार को लेकर चिकित्सकों ने इस दवा को लिखने से तो परहेज करने लगे हैं, लेकिन मेडिकलों सहित किराना और मनिहारी प्रतिष्ठानों में अब भी नशील दवाओं का कारोबार जिले में फल फूल रहा है। २०१५ में कुठला पुलिस द्वारा फेंसीड्रिल कफ सिरप का मामला उजागर किया गया जो न सिर्फ सुर्खियों में रहा बल्कि राष्ट्र स्तरीय गिरोह का पर्दाफाश हुआ। हाल ही में कटनी के कारोबारी द्वारा उमरिया में नशीली दवा की सप्लाई और रीठी की दो मेडिकलों से जब्त नशीली दवाओं ने औषधि प्रशासन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस विभाग की जिम्मेदारी अवैध कारोबार को रोकने की है वह निष्क्रिय बना हुआ है। जिले के मेडिकल प्रतिष्ठानों में जांच की दुहाई तो दी जा रही है, लेकिन नशीली दवाओं के कारोबार पर रोक नहीं लगी।

 

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ये मामले आ चुके हैं सामने:
सात अप्रैल को जीवन ज्योति मेडिकल स्टोर्स के संचालक विनय वीरवानी सहित एक अन्य को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। यह कारोबारी शहर सहित पड़ोसी जिला में नशीली दवाओं की सप्लाई करता था। इसी प्रकार अप्रैल माह में ही रीठी के दो मेडिकल राजकुमार पटेल हरिओम मेडिकल और माधवनगर निवासी सुदामा इदानानी की मेडिकल से नशीली दवाओं को जब्त किया था। गल्र्स कॉलेज के सामने स्टेशनरी की दुकान में भी बड़ी मात्रा में नशीली दवाएं जब्त हो चुकी हैं। २०१५ में कुठला पुलिस द्वारा फेंसीड्रिल कफ सिरप का मामला उजागर किया गया जो न सिर्फ सुर्खियों में रहा बल्कि राष्ट्रस्तरीय गिरोह का पर्दाफाश हुआ।

खास-खास:
– जिन दवाओं का उपयोग अब नशीली दवा के रूप में होता है उनका उपयोग इसी शर्त पर होना है कि जब डॉक्टर की ओपीडी पर्ची हो, मरीज का पता तभी दवा दी जाए।
– बगैर डॉक्टर की अनुमति के फेंसीड्रिल, कोरेक्स, रेस्केप आदि दवा नहीं बेचना है, पुराने पर्चे पर भी दवा का विक्रय नहीं करना है।
– नशीली दवाओं का कारोबार करने वाले लोग होम डिलेवरी कर रहे हैं। शहर सहित गांवों में चल रहा कारोबार।
– जबलपुर के रास्ते कटनी पहुंच रही कोडीन मिश्रित सिरफ सहित अन्य प्रतिबंधित दवाएं।
– ड्रग इंस्पेक्टर व टीम की यह जिम्मेदारी होती है कि वह शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र में संचालित दुकानों की औचक जांच करें। कोडीन मिश्रित दवाओं की जानकारी लें। इसमें लापरवाही बरती जा रही है।

 

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यह है जिम्मेदारी
ड्रग इंस्पेक्टर व टीम की यह जिम्मेदारी होती है कि वह शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र में संचालित दुकानों की औचक जांच करें। जांच के दौरान यह देखें कि दवा कारोबारी कौन-कौन सी दवाएं बेच रहा है। कोडीन मिश्रित दवाएं कौन सी मंगाई हैं, उनकी सेल पर्ची ले लेता है। लाइसेंस की जांच, मेडिकल में फार्मासिस्ट की जांच लाइसेंस डिस्प्ले, लाइसेंस की वैद्यता, क्वालीफाइ व्यक्ति मेडिकल में हैं कि नहीं, एक्सपायरी दवा तो नहीं है, सैंपल वाली दवाओं का विक्रय तो नहीं किया जा रहा आदि की जांच करना है। इसके बाद यदि कोई बेपरवाही पाई जाती है तो उसपर कार्रवाई के लिए प्रकरण तैयार करना होता है। लेकिन अभी जिले में यह सब हवा हवाई चल रहा है।

इनका कहना है
मेडिकलों की जांच हमेशा की जा रही है। हर दिन की जांच में क्या सामने आता है यह बता पाना मुश्किल है। कुछ प्रतिष्ठानों में गड़बड़ी मिली है, उनके प्रकरण कार्रवाई के लिए भेजे गए हैं।
स्वप्निल सिंह, ड्रग इंस्पेक्टर।

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