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गजराज के गुस्से से बचाएगी कैक्टस की बाड़

नई कवायद, जंगली हाथियों के बढ़ते उत्पात के बीच वन विभाग ने निकाला अनूठा तरीका.

कटनीAug 02, 2020 / 10:22 am

raghavendra chaturvedi

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के कोर एरिया दशरथ तलैया और कुशमहा कैंप में जंगली हाथियों से सुरक्षा की तैयारी में लगाया गया कैक्टस.

राघवेंद्र चतुर्वेदी @ कटनी. जिले के बरही रेंज के गांव से लेकर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के कोर व बफर एरिया में बसे गांव के लोग अक्सर हाथियों के उत्पात से सहमे रहते हैं। ग्रामीणों के जान-माल के खतरे को भांपते हुए वन विभाग और टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने बचाव का अनूठा तरीका इजाद किया है।

घरों और फसलों की सुरक्षा के लिए कैक्टस की बाड़ (बाउंड्री) और मिर्ची के पौधे रोपे जा रहे हैं। अफसरों का तर्क है कि यह प्रयोग अध्यनन के बाद किया जा रहा है। टाइगर रिजर्व के कोर एरिया महामन में कैक्टस के पौधे वाले क्षेत्र में हाथी नहीं जाते। मधुमक्खी की आवाज से भी हाथी दूर भागते हैं।

बतादें कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व व आसपास के वनों में 40 से ज्यादा हाथियों का मूवमेंट ग्रामीणों के लिए कई बार जान-माल की सुरक्षा के लिए नुकसानदायक साबित हुआ है। फसलों की सुरक्षा के लिए अनूपपुर जिले में हाथियों के मूवमेंट के दौरान सोलर से डीसी करंट का प्रयोग तक अपनाया गया। ऐसे प्रयोगों से हाथियों की जान का खतरा बना रहता है।

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर विसेंट रहीम बताते हैं कि टाइगर रिजर्व के कोर एरिया महामन व पोड़ी में जहां कैक्टस के पौधे हैं, वहां हाथी नहीं जा रहे हैं। कैक्टस की बाड़ी और फसल के बीच में मिर्ची रोप दें तो हाथी उधर नहीं जाते हैं। मधुमक्खी की आवाज से भी हाथी भाग जाते हैं। ये तीनों प्रयोग अपनाने की समझाइश ग्रामीणों को दे रहे हैं। मझौली में कई किसानों ने कैक्टस का बाड़ लगाया है। नए प्रयोग से हाथी और किसान दोनों की सुरक्षा होगी।

 

जंगल के अंदर विचरण करते हाथी. IMAGE CREDIT:

ऐसे समझें हाथियों से नुकसान का गणित

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 32 हाथियों के एक झुंड का मूवमेंट इन दिनों खितौली रेंज में टाइगर रिजर्व प्रबंधन द्वारा बनवाए गए तालाब के आसपास है। इनके पास ही विचरण करने वाले दूसरे झुंड में 8 हाथी हैं। इन हाथियों ने टाइगर रिजर्व के अंदर बाघों के लिए गर्मी में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए लगाए गए कई सोलर पंप यूनिट को उखाड़ दिया है। चौकीदारों के लिए बनाए गए कैंप के दरवाजे खिड़की तक तोड़ डाले हैं। इस ग्रुप में 2 बड़े हाथी और एक नर हाथी जंगल के साथ ही गांव में फसलों को ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। इसकी भरपाई के लिए सरकार मुआवजा देती है।

कटनी जिले के कुआं व सलैया गांव में बीते वर्ष रबी सीजन में हाथियों के झुंड ने गेहूं फसल को नुकसान पहुंचाया। तहसीलदार एसएन त्रिपाठी के अनुसार मुआवजा देने के लिए 18 प्रकरण तैयार किया गया। कटनी जिले के कुआं, सलैया सहित टाइगर रिजर्व के जगुआ, बम्हौरी, सलकनिया, करेला, बगदरा व मझौली और आसपास गांव में हाथियों का मूवमेंट बना रहता है।

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