कटनी

मरणासंन्न नहरों को मिल जाए मनरेगा की संजीवनी तो चलने लगेंगी सांसें, अभी बांधों से छूटा पानी 40 से 50 फीसदी ही पहुंचता है खेतों में

जिले में कृषि क्षेत्र की बिजली अलग हो गई है, किसानों को 10 घंटे बिजली देने का दावा किया जा रहा है, लेकिन 7 से 8 घंटे ही बमुश्किल बिजली मिल रही है, वह भी आधी रात को, ऐसे में जिले के अधिकांश किसानों की बारिश पर ही खेती निर्भर करती है या फिर जलाशयों से आश्रित हैं। जलाशयों की हालत कैसी है यह किसी से छिपी नहीं हैं।

कटनीJun 05, 2020 / 09:34 am

balmeek pandey

Canals of Katni district are not being repaired

कटनी. जिले में कृषि क्षेत्र की बिजली अलग हो गई है, किसानों को 10 घंटे बिजली देने का दावा किया जा रहा है, लेकिन 7 से 8 घंटे ही बमुश्किल बिजली मिल रही है, वह भी आधी रात को, ऐसे में जिले के अधिकांश किसानों की बारिश पर ही खेती निर्भर करती है या फिर जलाशयों से आश्रित हैं। जलाशयों की हालत कैसी है यह किसी से छिपी नहीं हैं। नहरें मरणासंन्न स्थिति में हैं। यदि नहरों की हालत सुधार जाए तो 40 फीसदी से अधिक जलाशयों का पानी किसानों के खतों की प्यास बुझा सकता हैं। कोरोना वायरस कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन चल रहा है। संकट की इस घड़ी में सरकार मजदूरों को गांव पर ही काम देने के लिए मनरेगा को सशक्त माध्यम बनाया है। जिले की 407 ग्राम पंचायतों में 65 हजार से अधिक मजदूरों को काम भी दिया जा रहा है, जिसमें मेड़ बंधान, तालाब गहरीकरण, नाला गहरीकरण का काम हो रहा है। यदि जिले की नहरों को मनरेगा से संवार दिया जाए तो हजारों किसानों के खेतों को पानी पहुंचने लग जाएगा और बेहतर खेती होने लगेगी। बारिश के पूर्व नहरों में सुधार के लिए प्रयास हों तो किसानों के लिए मनरेगा किसी वरदान से कम नहीं होगी।

यह है बहोरीबंद की स्थिति
बहोरीबंद क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक नहरों की बेहद खराब स्थिति है। बहोरीबंद विकासखंड के कूडऩ जलाशय से होकर बचैया लगभग 25 किलोमीटर नहर जो जगह-जगह टूटी-फूटी है। साफ-सफाई का अभाव है। ग्राम लालपुर व रामपुर के बीच में ज्यादा खराब है। इसके अलावा बहोरीबंद, देवरी, छपरी, मसंधा, शांतिनगर सहित अन्य जलाशयों की नहरों की भी स्थिति बेहद खराब है। रीठी क्षेत्र के जलाशयों की नहरें भी कई जगहों से खराब हैं। किसान लगातार सुधार की मांग करते हैं, लेकिन बजट के अभाव में नहरें दम तोड़ चुकी हैं।

कटनी क्षेत्र के जलाशयों की भी नहीं सुध
कटनी जनपद क्षेत्र अंतर्गत के जलाशयों की नहरों की भी हालत नाजुक हैं। कई स्थानों पर टूटी-फूटी है। ठरका जलाशय की नहर की कई वर्षों से मरम्मत नहीं हुए हैं। छहरी, बडख़ेरा सहित आधा दर्जन गांव के किसान परेशान हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही। यह हाल विजयराघवगढ़ और बरही क्षेत्र के जलाशयों की भी मरम्मत के अभाव में नहरें दम तोड़ चुकी हैं।

दतला जलाशय की नहरों का नहीं सुधार
बड़वारा क्षेत्र के दतला जलाशय की नहरें भी बदहाली के आंसू बहा रही हैं। लखाखेरा, रूपौंद, बछरवारा, बजरवारा, बड़वारा, रोहनिया सहित कई गांव के किसान इस जलाशय पर आश्रित हैं, लेकिन नहर खराब होने से अधिकांश पानी बह जाता है। इसके अलावा अन्य जलाशयों की नहरें भी खराब पड़ी हैं। ढीमरखेड़ा क्षेत्र की नहरें भी काफी खराब हैं। नहरें न सिर्फ टूटी हैं बल्कि झाड़-झंकाडिय़ों के कारण पानी का बहाव रुक जाता है जिससे और क्षतिग्रस्त होती हैं और किसान परेशान होते हैं।

इनका कहना है
जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी के इस संबंध में निर्देश प्राप्त हुई हैं। मनरेगा से नहरों के मरम्मत कराए जाने चर्चा हुई है। हम सभी एसडीओ से संपर्क कर रहे हैं। शीघ्र ही मनरेगा से नहरों के मरम्मत के लिए पहल की जाएगी।
आरके खुराना, कार्यपालन यंत्री जल संसाधन विभाग।

मनरेगा से नहरों को भी जोडऩे का काम किया जाएगा। जिले की क्षतिग्रस्त नहरों के संबंध में जानकारी मंगाई गई है। जल संसाधन विभाग और मनरेगा के अधिकारियों को नहरों के मरम्मत के संबंध में प्रस्ताव तैयार करने कहा गया है।
जगदीशचंद्र गोमे, जिला पंचायत सीइओ।

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