ये दवाएं थी प्रसिद्ध
केंद्र की शुरुआत के समय यहां बड़ी संख्या में लोग दवाइयां लेने आते थे। यहां दशन संस्कार चूर्ण, लवण भास्कर चूर्ण, पौष्टिक, हिंगवास्टक, सफेद मूसली, तालीसादी, पुष्यानुग, पंच संस्कार चूर्ण, विंध्यवात कैप्सूल, विंध्य अश्वगंधा कैप्सूल, विंध्य स्टे्रस, महाविषगर्भ तेल, महानारायण तेल, भृंगराज तेल, दशमूल क्वाथ, स्किन ऑइंटमेंट, विंध्य हिमताज तेल, त्रिफल, पाचक चूर्ण, हवन धूप, नेत्र ज्योतिवर्धक चूर्ण, स्मरण शक्तिवर्धक चूर्ण, अर्जुन हर्बल चाय आदि का निर्माण होता था।
खास-खास:
– लोगों की बीमारी जड़ी-बूटियों से खत्म करने के लिए 2004 में वन विभाग द्वारा की गई अनूठी।
– 20 लाख रुपए से अधिक से केंद्र का निर्माण, 80 लाख रुपए से अधिक की औषधि तैयार करने मशीनें जुटाई गईं।
– उस दौरान जड़ी-बूटी तैयार करने के साथ ही डॉ. आरके शर्मा की प्रतिनियुक्ति की गई थी, जो मरीजों का आयुर्वेद पद्धति से उपचार करते थे।
– एक दर्जन से अधिक कर्मचारी औषधि तैयार करते थे, जिसकी सप्लाई प्रदेश के अन्य हिस्सों में होती थी।
– केंद्र में प्रबंध सचालक, उप प्रबंध संचालक, आयुर्वेद चिकित्सक, केंद्र प्रभारी, बाबू व चौकीदार सहित अन्य स्टाफ था।
– केंद्र के व्यवस्थित संचालन को लेकर ठोस कार्ययोजना न होने की वजह ये यह दम तोड़ दिया।
इनका कहना है
अभी हाल में मैने कटनी ज्वाइन किया है। यदि यहां पर औषधि तैयार करने सहित हर्बल गुलाल और सिंदूर बनाने की यूनिट लगाई गई थी और वह बंद है तो इस पर तत्काल अधिकारियों से चर्चा की जाएगी। इसे शीघ्र चालू कराने के लिए प्रयास किए जाएंगे।
राकेश राय, डीएफओ कटनी।