2010 से बंद हो गई विज्ञान, गणित व कला संकाय की कक्षा
बीच शहर में संचालित एरविंद्र राव नगर निगम उमा विद्यालय में विज्ञान, गणित, वाणिज्य व कला संकाय की कक्षाओं का संचालन होता था। नगर निगग की लापरवाही के कारण साल 2010-11 से विज्ञान, गणित व कला संकाय की कक्षाएं बंद हो गई है। वर्तमान समय में सिर्फ वाणिज्य विषय की ही कक्षा संचालित हो रही है। तीन संकायों के बंद होने के कारण बच्चों को अब पढ़ाई के लिए दूसरे स्कूलों में जाना पड़ रहा है।
8 साल में ही गिरने की कगार पर पहुंच गया प्रयोगशाला भवन
दिलबहार चौराहे के पास खुली एरवींद्र राव नगर निगम स्कूल में पुस्तकालय व प्रयोगशाला कक्ष नहीं था। साल 2008-09 में बीआरजीएफ योजना के अंतर्गत नगर निगम ने लगभग 7 लाख 86हजार 624 रुपये की लागत से विज्ञान प्रयोग शाला व पुस्तकालय कक्ष बनवाया था। कुछ दिन तक तो बच्चों को प्रेक्टिकल पढ़ाई करने की सुविधा मिली। इसके बाद कमरों में ताला लग गया। कई साल से ताला बंद रहने के कारण अब यह खंडहर में तब्दील हो गया है। दीवारों में दरारे आ गई है। वर्तमान समय में यह गिरने की कगार पर पहुंच गया है। समय रहते मरम्मत नहीं हुई तो भवन के धराशायी होने पर कोई बड़ा हादसा भी हो सकता है।
निगम संभाल शहर के तीन स्कूलों की जिम्मेदारी, तीनों ही दुदर्शा का शिकार
शहर में नगर निगम की तीन स्कूलें हैं। इसमें साधूराम हाईस्कूल, केसीएस व एरवींद्र राव शामिल है। तीनों ही स्कूलों के देखरेख, व्यावस्थाओं में सुधार की जिम्मेदारी नगर निगम की होती है, लेकिन निगम द्वारा स्कूलों के संचालन को लेकर लगातार लापरवाही बरती गई। जिस वजह से तीनों ही स्कूल अब बंद होने की कगार पर पहुंच गई है। ऐसे में शहर के जिन दानदाताओं के नाम पर स्कूल चल रहे हैं, उनका भी अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर पहुुंच गया हैं।
शिक्षकों की भर्ती का नहीं है अधिकार
नगर निगम के पास शिक्षकों की भर्ती का अधिकार अब नहीं रह गया है। साल 2010से सरकार ने बंद कर दिया है। शिक्षकों की व्यवस्था करने स्कूल प्रबंधन को कहा गया है। 2010 के बाद से शिक्षक के पद ड्राइंग कैडर में आ गए है। राज्य सरकार को पत्र लिखा है कि बिल्डिंग को अपने अधीन करके शिक्षकों की व्यवस्था करे। संसाधन हमारे पास पूरे है।
शशांक श्रीवास्तव, महापौर।
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