जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की कमीं बनी हुई है। जिसके चलते मरीजों को उपचार की सुविधा नहीं मिल पा रही है। गंभीर बीमारी से ग्रसित ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को जिला अस्पताल न आना पड़े। गांव के ही सरकारी अस्पताल से उपचार की सुविधा मिल जाए। इसके लिए जिले के पूर्व कलेक्टर व जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने वीडिय़ों कांफ्रेंस के माध्यम से मरीजों का उपचार कराने की योजना बनाई थी, लेकिन पिछले 10 माह से अधिक समय से यह योजना बंद पड़ी हुई है। इसके साथ ही जिला अस्पताल के जिस कक्ष को टेलीमेडसिन रूम बनाया गया था, उस कमरे से अब एंबुलेंस 108का संचालन हो रहा है।
दो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में एक दिन चली थीं योजना
जिले के कैमोर व स्लीमनाबाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मेंं टेलीमेडिसिन योजना का सुचारू रूप से संचालन हुआ। हालांकि यहां के मरीजों को भी इसकी सुविधा ज्यादा दिन तक नहीं मिल सकीं। एक दिन चलने के बाद यह योजना बंद हो गई। जिला अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक जिलेभर के 18प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर टेलीमेडिसन योजना का शुभांरभ होना था।
इसलिए सफल नहीं हो पाया प्लान
जिला अस्पताल के डॉक्टरों के अनुसार टेलीमेडिसिन प्लान के सफल नही होने का सबसे बड़ा कारण इंफ्रास्ट्रक्चर व डॉक्टरों की कमीं होना है। प्लान के लिए जितने इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत थी, वह उसकी व्यवस्था नहीं हो पाई। वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से मरीजों के उपचार के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भी डॉक्टर की जरूरत होती है। जिससे केंद्र में बैठा डॉक्टर मरीजों को देखकर उसके बारे में जिला अस्पताल के डॉक्टरों से चर्चा कर सकें, लेकिन अधिकांश प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टर ही नही है। वार्ड बॉय व नर्स केंद्र चला रहे है।
ऐसे मिलती उपचार की सुविधा
टेलीमेडिसिन के माध्यम से जिला अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भर्ती मरीजों के बीमारियों के बारे में वीडियो कांफ्रें स के माध्यम से बात करते। उसके बाद इलाज करते।
इनका कहना है
ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को टेलीमेडिसिन के माध्यम से उपचार की सुविधा मिल जाए, इसके लिए पूर्व कलेक्टर विशेष गढ़पाले व जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने प्लान बनाया था। इंफ्रास्ट्रक्चर व डॉक्टरों की कमीं के चलते यह प्रयोग सफल नहीं हो सका।
डॉ. एसके निगम, सीएमएचओ।
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