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कांग्रेस सरकार आते ही बंद हुई बाक्साइड खदान की लोकसुनवाई में पहुंचे कलेक्टर-एसपी

locationकटनीPublished: Aug 23, 2019 12:13:53 pm

शहर के बीचो-बीच चल रही बाक्साइड खदान नौ माह से है बंद, इससे पहले 14 साल तक नियमों को ताक पर रखकर चलने के लगते रहे हैं आरोप.
– नगर निगम सीमा क्षेत्र में खदान संचालन का प्रदेश में पहला मामला, लोकसुनवाई की सूचना प्रसारित करने की प्रक्रिया पर भी उठे सवाल.

Collector-SP arrived in public hearing of Bauxide mine

मेसर्स लक्ष्मीदास रामजी बाक्साइड माइंस संचालन के लिए लोकसुनवाई में मौजूद कलेक्टर व एसपी

कटनी. मेसर्स लक्ष्मीदास रामजी बाक्साइड माइंस की अलग-अलग खसरा मिलाकर कुल 39.31 हेक्टेयर में एक लाख टीपीए खनन क्षमता खदान की लोक सुनवाई ग्राम टिकुरी तहसील मुड़वारा में 22 अगस्त को आयोजित की गई।
खासबात यह है कि लोकसुनवाई में अधिकृत अधिकारी एडीएम व मेंबर सेकेट्ररी की मौजूदगी की चर्चाओं के बीच यहां कटनी कलेक्टर एसबी सिंह और एसपी ललित शाक्यवार मौजूद रहे।

लोकसनुवाई में स्थानीय नागरिक राजेश नायक सौरभ व एडवोकेट विष्णु वाजपेयी ने आपत्ति दर्ज कराते हुए बताया कि नगर निगम सीमा क्षेत्र में प्रदेश में कहीं भी खदान नहीं है। यहां खदान से बड़े झाड़ का जंगल लगा है, फिर वन विभाग की एनओसी नहीं ली गई। नगर निगम से भी नवंबर 2001 में एनओसी जारी की गई थी। इन 18 सालों के दौरान शहर की स्थिति बदल गई है। स्थानीय अधिकारी इसे सीधे तौर पर नजरअंदाज कर रहे हैं। खदान के कारण ही शहर में भूजल स्तर नीचे जाने से नागरिकों को गर्मी में पेयजल समस्या का सामना करना पड़ता है।

बतादें कि शहर में आबादी के समीप मेसर्स लक्ष्मीदास रामजी बाक्साइड माइंस एक-दो साल नहीं पूरे 14 साल से पर्यावरण नियमों को ताक पर रखकर संचालन के आरोप लगते रहे हैं। इस दौरान बाक्साइड खदान से होने वाले पर्यावरण को नुकसान का ऑकलन पर्यावरण विभाग ने नहीं किया।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद 2005 से सभी खदानों को पर्यावरण प्रभाव ऑकलन (सिया) की एनओसी लेना अनिवार्य किया गया है। यहां कई हेक्टेयर में संचालित बाक्साइड खदान संचालक के पास सिया की एनओसी किसी ने नहीं पूछा।
खासबात यह है कि प्रदेश में सरकार बदलते ही पर्यावरण विभाग भोपाल के कार्यपालन यंत्री बृजेश शर्मा ने खनिज विभाग कटनी को पत्र जारी कर बाक्साइड खदान के लिए सिया की एनओसी होना जरुरी करार दिया और इस पत्र के बाद खनिज विभाग ने खदान का संचालन बंद करवा दिया। इसके बाद बीते 14 साल तक खदान कैसे चलती रही यह सवाल अभी भी लोगों के जेहन में है।

इधर गुरूवार को लोकसुनवाई की सूचना प्रसारित करने पर भी नागरिकों ने सवाल उठाया। नागरिकों ने बताया कि इसकी सूचना एक माह पहले जारी की गई थी, ज्यादातर लोग तो तारीख भी भूल गए थे। आयोजन से एक दिन पहले लोकसनुवाई को लेकर लाउडस्पीकर से भी सूचना प्रसारित नहीं करवाई गई।

इस संबंध में प्रदूषण नियंत्रण विभाग के एके बिदौलिया ने बताया कि मेसर्स लक्ष्मीदास रामजी बाक्साइड माइंस को लेकर लोकसुनवाई गुरूवार को हुई है। इसमें पक्ष और विपक्ष से आए विचार उपर भेजा जाएगा। खदान चलेगा या नहीं इस पर उच्चाधिकारी निर्णय लेंगे।

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