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जानिए किस विभाग के अफसर कॉलेज की ग्रेडिंग में अटकाए रोड़े

locationकटनीPublished: Aug 01, 2018 11:09:42 am

Submitted by:

dharmendra pandey

समय पर काम पूरा नहीं होने से कॉलेज प्रबंधन को सता रहा ग्रेड कम होने का डर

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कटनी. शासकीय तिलक कॉलेज का निरीक्षण करने 9 व 10 अगस्त को बैंगलोर से नेक टीम आ रही है। यह लगभग 11 साल बाद आ रही है। टीम में शामिल सदस्य दो दिन रुककर कॉलेज में पढ़ाई, स्वच्छता व संसाधनों का निरीक्षण करेंगे। इसके बाद ग्रेड देंगे। दो दिन के दौरे पर आने वाली टीम को सारी चीजे बेहतर मिले, इसके लिए कॉलेज प्रबंधन ने जोरशोर से तैयारी शुरू की, लेकिन यह तय समय पर पूरी नहीं हो पाया। लाखों रुपये की लागत हो रहा निर्माण कार्य यदि समय पर पूरा हो जाता तो छात्रों के साथ ग्रेड में लाभ मिलता, लेकिन कार्य अूधरा पड़ा होने व समय कम होने की वजह से कॉलेज प्रबंधन को अच्छी ग्रेड नहीं मिलने का डर सता रहा है। कॉलेज प्रबंधन के मुताबिक 30 तक हर हॉल में सारे काम पूरे हो जाने चाहिए थे। 45 दिन का समय और अधिक लग गया। उसकेे बाद भी कार्य अधूरा पड़ा हुआ है। यदि इसी गति से काम चला तो अभी तीन माह से अधिक का समय और लगेगा।

6 माह पहले कॉलेज ने पीडल्यूडी व आरइएस को दी 59 लाख की राशि
नेक टीम के दौरे पर आने की सूचना मिलने के बाद कॉलेज प्रबंधन ने सालभर पहलेे से तैयारी शुरू की। कैंटीन, ऑडिटोरियम, ग्रिल, छत, प्रयोगशाला कक्ष सहित अन्य कार्यों के लिए लगभग छह माह पहले पीडब्ल्यूडी व आरइएस विभाग को 59 लाख 50 हजार रुपये की राशि दी। राशि मिलने के बाद दोनों ही विभागों ने टेंडर निकाले। वर्क आडर्र जारी किए, लेकिन संबंधित ठेकेदारों से कार्य शुरू नहीं करा पाए। जबकि कॉलेज प्रबंधन दोनों ही विभागों समेत कलेक्टर को भी कार्य शुरू कराने के लिए पत्राचार किया। इसके बाद भी किसी ने ध्यान नहीं दिया।

यह काम पड़ेे अूधेरे

वर्क आर्डर जारी होने के बाद भी शुरू नहीं हो पाया कैंटीन का कार्य:
शासकीय तिलक कॉलेज परिसर में प्रबंधन द्वारा कैंटीन का निर्माण कराया जा रहा है। कॉलेज प्रबंधन द्वारा आरइएस विभाग को 5 माह पहले कैंटीन के लिए लगभग 7.50 लाख रुपये की राशि भी दें दी गई है, लेकिन अफसरों ने काम कराने में लापरवाही बरती। टेंडर व वर्क आर्डर प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी कैंटीन का काम शुरू नहीं करा पाए। जबकि ठेकेदार द्वारा कैंटीन निर्माण का काम शुरू करा देने की आरइएस विभाग के अफसरों को जानकारी भेज दी।

5 माह बाद भी पूरा नहीं हो पाया ऑडिटोरियम का काम
कॉलेज में होने वाले विभिन्न आयोजनों के लिए परिसर में एक अच्छा सा ऑडिटोरियम हॉल हो। इसके लिए जनभागीदारी निधि से कॉलेज कैंपस में बने पुराने ऑडिटोरियम हॉल को नए तरीके से मनाया जा रहा है। इसके लिए कॉलेज प्रबंधन पांच माह पहले लागत राशि पीडब्ल्यूडी विभाग दो दें दी। विभाग ने टेंडर जारी कर काम तो शुरू करा दिया, लेकिन यह धीमी गति से चला। कुछ दिन तक तो काम भी बंद रहा। ऐसे में 10 दिन के भीतर निर्माण कार्य होना संभव नहीं है। नेक दौरे की सूचना होने के बाद भी निर्माण कार्य कराने में लापरवाही बरती गई। इसके साथ ही लीकेज छत, बालिका व पुरुष शौचालय, सफाई, पुताई का कार्य भी अधूूरा पड़ा हुआ है। कॉलेज प्रबंधन की मानें तो अब तक ये सभी कार्य पूरे हो जाने थे।

अच्छी ग्रेड मिली तो यह होगा फायदा
कॉलेज प्रबंधन की मानें तो 11साल बाद आ रही नेक टीम को व्यवस्थाएं यदि अच्छी मिली तो नंबर अच्छा मिलेगा। वर्तमान समय में कॉलेज अभी बी ग्रेड में है। प्रबंधन की कोशिश है कि ए ग्रेड मिले। ताकि कॉलेज के विकास का मार्ग और प्रशस्त हो जाए।

कम नंबर मिले तो यह होगा नुकसान
9 व 10अगस्त को बैंगलोर से आ रही नेक टीम को यदि कॉलेज में बेहतर पढ़ाई, साफ-सफाई व संसाधनों की कमीं दिखाई देती है तो अच्छी ग्रेडिंग नहीं होगी। कम नंबर मिलेंगे। बी ग्रेड की वरीयता से घटकर कॉलेज सी ग्रेड में आ जाएगा। इससे पूरे जिले व प्रदेश की बदनामी होगी।

कॉलेज प्रबंधन टाल सकता था डेट
नेक टीम को बुलाने में कॉलेज प्रबंधन भी जल्दबाजी दिखा रहा है। समय पर निर्माण कार्य पूरा नहीं होने की स्थिति के बारे में जानकारी होने के बाद भी प्राचार्य ने टीम को निरीक्षण पर बुला लिया। सूत्रों की मानें तो डेट को आगे भी बढ़ाया जा सकता था, लेकिन अब संभावनाएं खत्म हो गई है।

इन कामों के लिए जारी हो चुकी है राशि
-18 लाख रुपये से कॉलेज के ऑडिटोरियम हाल का निर्माण होना है।
-14 लाख रुपये की लागत से ग्रिल बांउड्री बननी है।
-9.50 लाख रुपये की लागत से कैमेस्ट्री की प्रयोगशाला बननी है।
-7 लाख 50 हजार रुपये कैंटीन के लिए दिए गए है।
-7 लाख रुपये की लागत से जुलॉजी लैब बननी है।
-3 लाख 50 हजार रुपये से छत का निर्माण होना है।

इनका कहना है
10 दिन बाद नेक टीम आ रही है। कॉलेज का अधिकांश कार्य अधूरा पड़ा हुआ है। दोनों निर्माण एजेंसियों को कई बार पत्राचार कर तय समय में काम शुरू कराने कई बार कहा गया, लेकिन निर्माण एजेंसियों ने लापरवाही बरती। व्यवस्था बेहतर नहीं होने से नंबर कम मिल सकते है।
डॉ. सुधीर खरे, प्राचार्य, तिलक कॉलेज।
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