इस पूरे मामले को लेकर 22 जनवरी को आरटीआइ से सार्वजनिक हुए पत्र में वाणिज्यकर अधिकारी मनीष महारणवर ने कहा है कि 26 नवंबर 2019 की दोपहर पंप मालिक नीलेश चौदहा कार्यालय पहुंचे और पंप के मामले में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत आवेदक को आपत्ति के बाद भी जानकारी देने पर कार्यालय भवन से कूदकर जान देने और कक्ष के सामने जहर खाकर कागज में वाणिज्यकर अधिकारी को दोषी बताने की धमकी दी है।
दूसरी ओर इस पूरे मामले को लेकर पेट्रोल पंप संचालक नीलेश चौदहा का कहना है कि इस तरह की कोई भी बात उनके द्वारा वाणिज्यकर अधिकारी से नहीं कही गई है। बताया जा रहा है कि पेट्रोल पंप संचालन के दौरान वित्तीय मामलों से यह विवाद जुड़ा है। इसमें पेट्रोल पंप संचालक और वाणिज्य कर अधिकारी दोनों की भूमिका सवालों में है।