कटनी

खाद बनाने अभी भी नहीं मिल पा रहा पर्याप्त कचरा…

कचरे की आवक कम, 120 टन हो पा रहा उपलब्ध, नगरीय निकायों के कचरे से पडऱवारा में बनाई जा रही खाद, अभी शुरू नहीं हो पाई सप्लाई

कटनीOct 04, 2018 / 11:58 am

mukesh tiwari

Composting not get enough trash

कटनी. छोटे नगरीय निकायों को जोड़कर वैज्ञानिक पद्धति से कचरे की जैविक खाद बनाने के प्लांट को अभी भी पर्याप्त मात्रा में कचरा नहीं मिल पा रहा है। शहरी सीमा के पडऱवारा के पास प्लांट का काम शुरू हुए लगभग चार माह का समय बीत गया है और मशीनों से कचरे की खाद बनाने अभी यूनिट को रोजाना 120 टन के आसपास कचरा मिल पा रहा है जबकि शुरुआत में प्रतिदिन 150 टन की जरूरत बताई गई थी। अभी तैयार की जा रही जैविक खाद की सप्लाई भी किसानों और कंपनियों को नहीं हो पा रही है, जिसके पीछे कुछ कागजी खानापूर्ति होना शेष है। उम्मीद है कि एक सप्ताह के अंदर खाद की सप्लाई भी शुरू हो जाएगी। 23 जून को इंदौर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इ लोकार्पण के माध्यम से यूनिट का शुभारंभ किया था। कचरे से खाद बनाने की इस योजना में कटनी नगर निगम के साथ नगर पालिका सिहोरा, नगर पंचायत कैमोर, विजयराघवगढ़ व बरही को भी शामिल किया गया था। जहां से कचरा एकत्र करने 60 से अधिक वाहन डोर-टू डोर संग्रहण कर रहे हैं। प्रतिदिन 15 टन खाद बनाने के लिए यूनिट को 150टन कचरे की आवश्यकता है। उसके बाद भी उपलब्धता के आधार पर यूनिट काम कर रही है।
50 प्रतिशत कचरे का आरडीएफ उद्योगों को सप्लाई
सब्जी व किचिन के कचरे से खाद बनाने के साथ ही 50 प्रतिशत कचरे का उपयोग आरडीएफ बनाने में किया जा रहा है। जिसकी सप्लाई उद्योगों को की जानी है और उसके लिए भी निजी कंपनी ने अनुबंध किया है। वहीं तीन चरणों की प्रक्रिया से गुजरकर बनने वाली खाद खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ाएगी।
इनका कहना है…
यूनिट को 120 टन के आसपास कचरा मिल रहा है और उससे खाद बनाने का काम जारी है। कम ज्यादा आवक होती रहती है और उससे प्रोडक्शन में फर्क नहीं आता है।
आलोक कुमार, प्लांट इंचार्ज

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