scriptसूचना के छह माह बाद भी नहीं बनीं बाल कल्याण समिति, शासन-प्रशासन की बड़ी बेपरवाही | Constitution of Child Welfare Committee not formed in Katni District | Patrika News

सूचना के छह माह बाद भी नहीं बनीं बाल कल्याण समिति, शासन-प्रशासन की बड़ी बेपरवाही

locationकटनीPublished: Feb 12, 2019 12:24:28 pm

Submitted by:

balmeek pandey

जिला प्रशासन और सरकार को दो से तीन बार भेजा गया था रिमाइंडर

Constitution of Child Welfare Committee not formed in Katni District

Constitution of Child Welfare Committee not formed in Katni District

कटनी. बालकों की सुरक्षा को लेकर जिला प्रशासन और सरकार कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि पुरानी समिति के छह माह पहले रिमाइंडर दिये जाने के बाद भी बाल कल्याण समिति का गठन नहीं हुआ। इसका खुलासा सोमवार को उस समय हुआ जब पत्रिका ने रेस्क्यू किये गए बच्चों की सुरक्षा को लेकर हुई लापरवाही को उजागर किया। 11 फरवरी को पत्रिका ने ‘बाल कल्याण समिति का कार्यकाल पूरा, इधर रेस्क्यू किए गए बच्चे अधर मेंÓ नामक शीर्षक से जिला प्रशासन, सरकार और बालकों की सुरक्षा का दावा करने वाले बालिका व बालक आश्रय गृहों की हकीकत उजागर की। बाल कल्याण समिति के पूर्व पदाधिकारी ने बताया कि बाल कल्याण समिति के गठन के लिए 6 माह पहले ही प्रक्रिया पूरी कर ली जानी थी। 6 माह पहले से ही समिति गठन के लिए कलेक्टर और सरकार को 2-2 माह में रिमाइंडर भेजे गए हैं। यदि इस दौरान किसी कारणवश समिति का गठन नहीं हो पाया था तो यह जिला प्रशासन की जवाबदेही बनती थी कि कटनी की सीडब्ल्यूसी (चाइल्ड वेलफेयर कमेटी) का प्रभार निकटतम जिले की समिति को दे देना था। लेकिन न तो मॉनीटरिंग करने वाले विभाग न और ना ही कलेक्टर केवीएस चौधरी ने इस ओर ध्यान दिया। जबकि बाल कल्याण समिति का कार्यकाल पूर्ण हो जाने पर उमरिया, पन्ना, सतना, जबलपुर, दमोह में प्रभार देकर रेस्क्यू किये गए बच्चों की काउंसिलिंग कराकर उन्हें मुख्य धारा से जोडऩा था।

चाइल्ड लाइन पहुंचाएगी बच्चा
चाइल्ड लाइन के जिला समन्वयक ने बताया कि बाल संरक्षण अधिकारी मनीष तिवारी, सहायक संचालक महिला एवं बाल विकास विभाग वनश्री कुर्वेती द्वारा आदेश जारी किया गया है। आसरा आश्रय गृह झिंझरी में 24 घंटे के लिये बच्चे को रखा गया है। 24 घंटे के बाद बच्चे को चाइल्ड द्वारा यूपी इटावा छोड़ा जाएगा। बच्चे के परिजनों के न आने के कारण बच्चे को छोडऩे का आदेश हुआ है।

इनका कहना है
यह सरकार के स्तर पर समिति गठित होती हैं। इसके लिये पूर्व में पत्राचार हुआ है। चुनाव के कारण समिति नहीं गठित हो पाई। जबतक नई बालकल्याण समिति का गठन नहीं हो जाता है तबतक के लिये यह प्रयास किया जाएगा कि आसपास के जिलों की समिति में बच्चों की काउंसिलिंग हो जाए, ताकि जरुरतमंद बच्चे मुख्यधारा से जुड़ सकें।
केवीएस चौधरी, कलेक्टर।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो