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निर्माण की रफ्तार यही रही तो 2024 तक भी नर्मदा से अपने हिस्से का पानी नहीं ले सकेगा मध्यप्रदेश

locationकटनीPublished: Jan 05, 2019 10:42:42 am

सात साल में महज 4.6 किलोमीटर ही खुद पाई 11 किलोमीटर लंबी टनल

construction, it could not take water of its share from Narmada

narmada सात साल में महज 4.6 किलोमीटर ही खुद पाई 11 किलोमीटर लंबी टनल

कटनी. स्लीमनाबाद में अप स्ट्रीम पर टनल निर्माण खुदाई का काम दो माह से पड़ा है। 2.45 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में सिंचाई वाले 4281.55 करोड़ रूपये के दांयी तट नहर निर्माण प्रोजेक्ट में काम की धीमी रफ्तार का संकट मंडरा रहा है। यहां 11 किलोमीटर लंबी टनल बनाने 2011 में प्रारंभ हुआ। सात साल में 4 किलोमीटर 6 सौ मीटर खुदाई का काम ही हो सका है। प्रोजेक्ट की धीमी रफ्तार के पीछे मशीन में आए दिन खराबी के साथ ही प्रोजेक्ट की निगरानी में लगे नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) के अधिकारियों की भी लापरवाही माना जा रहा है।
नर्मदा का पानी सिंचाई के लिए किसानों के खेत तक पहुंचाने दांयी तट नहर निर्माण के अलावा दूसरे प्रोजेक्ट की धीमी रफ्तार के कारण मध्यप्रदेश अपने हिस्से का पूरा पानी नहीं ले पा रहा है। 1969 में नर्मदा जल बंटवार के लिए गठित नर्मदा वॉटर डिसप्यूट ट्रिब्यूनल (एनडब्ल्यूडीटी) को मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र के बीच पानी का बंटवारा करना था। दस साल तक चारों राज्यों का पक्ष सुनने के बाद मध्यप्रदेश के हिस्से सर्वाधिक पानी उपयोग आया।
इसमें मध्यप्रदेश को 18.25, गुजरात को 9.00, राजस्थान को 0.50 और महाराष्ट्र को 0.25 मिलियन एकड़ फीट (एमएएफ) पानी लेना था। इसमें 1979 से पानी रोकने के प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण को मध्यप्रदेश के हिस्से का पानी रोकने प्रोजेक्ट पर तेजी से काम करना था। 11.36 एमएएफ पानी का उपयोग करने के लिए डेम, स्टॉप डेम व नहर से लेकर अन्य प्रोजेक्ट बनाने थे। इसमें अब तक 6.88 एमएएफ पानी का उपयोग ही हो पा रहा है। गुजरात अपने हिस्से का 88 प्रतिशत से ज्यादा पानी उपयोग कर रहा है। पानी की यह मात्रा 2024 तक के लिए है। तब यहां सभी प्रोजेक्ट नहीं बने तो जरुरी नहीं कि प्रदेश को अपने हिस्से का इतना पानी रोकने फिर मौका मिलेगा।
एनवीडीए के मुख्य अभियंता कैलाश चौबे का कहना है कि दांयी तट नहर निर्माण में स्लीमनाबाद में टनल निर्माण का दो माह से रूका है। सलैया गांव के समीप सिंक के कारण काम रूकने के बाद वन विभाग से अनुमति लेने की प्रक्रिया चल रही है। नर्मदा अवार्ड में प्रदेश को मिले पानी का उपयोग का करने के लिए इस प्रोजेक्ट के अलावा दूसरे प्रोजेक्ट पर भी तेजी से काम चल रहा है।
खास-खास:
– सलैया के पास जहां टनल निर्माण का काम रूका वहां पर वन विभाग की जमीन होने के बाद दो माह से अनुमति लेने की प्रक्रिया चल रही है।
– स्लीमनाबाद की ओर से अपस्ट्रीम टनल निर्माण में 16 सौ मीटर खुदाई के बाद अचानक मिलने के बाद काम रूका।
– डाउन स्ट्रीम में खिरहनी की ओर से टीवीएम मशीन लगाकर टनल खुदाई का काम चल रहा है।
– 3 साल में पूरा होने वाले प्रोजेक्ट पर 2011 से काम शुरू हुआ। सात साल में आधा ही हुआ टनल खुदाई।
– 2021 तक फिर से ठेकेदार को मोहलत बढ़ा दी गई है। इधर 6 साल पहले बन चुकी ओपन नहर का उपयोग नहीं होने टूट रहा है।

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