जिले के अधिकांश प्राइमरी व मिडिल सरकारी स्कूलों के भवन पुराने हो गए हैं। जर्जर होने की वजह से कुछ भवन गिराने की स्थिति में है। ऐसी हालात में इन स्कूलों में पढ़ाई करने वाले बच्चों के साथ हर समय दुर्घटना घटने का अंदेशा बना रहता है। स्कूलों की इस स्थिति को देखते हुए जिले के राज्य शिक्षा केंद्र के अफसरों ने जर्जर प्राइमरी व मिडिल स्कूलों का पिछले साल सर्वे कराया था। इसमें १४७ स्कूल भवनों की हालत खराब पाई गई थी। प्राथमिक परीक्षण के लिए सूची आरईएस विभाग को भेजी थी। विभाग ने ५७ स्कूल भवनों को गिराकर नए भवन बनवाने की सूची शिक्षा केंद्र के अफसरों को दी। सूची मिलने के बाद अधिकारियों ने १५ प्राइमरी व मिडिल स्कूलों के नए भवन के लिए राशि जारी की।
नए स्कूल भवन नहीं बन पाने के कारण विद्यार्थियों को इस शिक्षण सत्र में फिर से जर्जर भवन में बैठकर पढ़ाई करनी पड़ेगी। भवनों के छत व दीवारों में दरार होने के कारण बारिश का पानी भीतर प्रवेश करेगा। कक्षाओं में पानी भर जाने की वजह से विद्यार्थियों को गीले फर्श में बैठने की समस्या का सामना करना पड़ेगा।
१४७ भवनों का सर्वे होने के बाद ५७ भवन गिराने की स्थिति में मिले थे। जबकि ९० भवनों का सुधार कार्य कराया जाना था, लेकिन पैसे के अभाव की वजह से मरम्मतीकरण के लिए चिन्हित किए गए इन भवनों का भी काम रुक गया।
पैसे नहीं होने की वजह से काम रुका हुआ है। बजट की मांग की गई है। राशि आते ही शेष स्कूलों को भी जारी कर दी जाएगी। एनपी दुबे, डीपीसी।
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