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ताले में कैद गरीब छात्र-छात्राओं का आवास, पांच माह में विभाग नहीं कर पाया स्टॉफ की व्यवस्था, सामने आई गंभीर लापरवाही

locationकटनीPublished: Oct 13, 2018 11:47:19 am

Submitted by:

balmeek pandey

किराये के मकानों में रहने विवश विद्यार्थी, जिला प्रशासन भी नहीं दे रहा ध्यान

Critical negligence in ITI hostel operation

Critical negligence in ITI hostel operation

कटनी. जिम्मेदारों द्वारा उच्च शिक्षा और बेहतर व्यवस्था का दावा किया जा रहा है, लेकिन हकीकत कोसों दूर है। गरीब व जरुरतमंद विद्यार्थियों की समस्या को न तो विभाग को सरोकार है और ना ही जिला प्रशासन को। सर्वसुविधायुक्त छात्रावास का उद्घाटन कर वाहवाही तो खूब लूटी गई, लेकिन पांच माह बाद भी विद्यार्थियों को रहने की सुविधा नहीं मिली है। मजबूरी में जरुरतमंद बच्चे महंगे दाम पर किराये के मकान लेकर या फिर गांव से कई मिलोमीटर का आवागमन कर अध्ययन के लिए केंद्र पहुंच रहे हैं। मामला शहर के उपनगरीय क्षेत्र एनकेजे में बने शासकीय आइटीआइ के छात्रावास का है। जानकारी के अनुसार शासकीय आइटीआइ परिसर में 2 करोड़ रुपये अधिक की लागत से बालिका और बालक छात्रावास में छात्र-छात्राओं को रहने की सुविधा नहीं मिल रही। करोड़ों रुपये की लागत से कॉलेज में बना यह भवन बेकार साबित हो रहा है। कर्मचारी की कमीं के कारण छात्राओं को छात्रावास की सुविधा न दें पाने के कारण आइटीआइ कॉलेज प्रबंधन ने स्थानीय को पत्राचार किया था, लेकिन अब तक समस्या का समाधान नहीं हो पाया। हैरानी की बात तो यह है यहां पर सिर्फ एक-एक अधीक्षक और सफाई कर्मचारी की व्यवस्था करना वह न तो विभाग कर पा रहा है और ना ही जिला प्रशासन। विद्यार्थियों को हो रही इस समस्या से किसी को सरोकार नहीं है।

बेहतर सुविधा के दावे की खुली पोल
बेहतर शिक्षा की आस के साथ गांव से शहर आकर अध्ययन करने वाले छात्र-छात्राओं को निराशा हाथ लग रही है। नितिन सोनी, विकास लोधी, रणजीत सिंह आदि ने बताया कि कई माह से हजारों रुपए किराये का कमरा, खाना आदि का खर्च उन्हें वहन करना पड़ रहा है। घर की माली हालत ठीक नहीं है, इसके बाद भी जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे। अजय चौधरी, विकास, छोटे सिंह, प्रेमलाल, सुदर्शन, रामप्रकाश ने बताया कि इस संबंध में कई बार जिम्मेदार अधिकारियों से चर्चा की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। 2 करोड़ रुपये की अधिक की लागत से 60 सीटर वाले छात्रावास सिर्फ शोपीस बनकर रह गया है।

इनका कहना है
वार्डन व सफाई कर्मचारी नहीं होने के कारण छात्र-छात्राओं को छात्रावास में रहने की सुविधा नहीं दी जा रही है। इस संबंध में चार-पांच माह पहले डायरेक्टर को पत्र भेजा था, लेकिन अबतक कोई जवाब नहीं मिला।
आरपी परौहा, अधीक्षक आइटीआइ।

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