बेहतर सुविधा के दावे की खुली पोल
बेहतर शिक्षा की आस के साथ गांव से शहर आकर अध्ययन करने वाले छात्र-छात्राओं को निराशा हाथ लग रही है। नितिन सोनी, विकास लोधी, रणजीत सिंह आदि ने बताया कि कई माह से हजारों रुपए किराये का कमरा, खाना आदि का खर्च उन्हें वहन करना पड़ रहा है। घर की माली हालत ठीक नहीं है, इसके बाद भी जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे। अजय चौधरी, विकास, छोटे सिंह, प्रेमलाल, सुदर्शन, रामप्रकाश ने बताया कि इस संबंध में कई बार जिम्मेदार अधिकारियों से चर्चा की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। 2 करोड़ रुपये की अधिक की लागत से 60 सीटर वाले छात्रावास सिर्फ शोपीस बनकर रह गया है।
इनका कहना है
वार्डन व सफाई कर्मचारी नहीं होने के कारण छात्र-छात्राओं को छात्रावास में रहने की सुविधा नहीं दी जा रही है। इस संबंध में चार-पांच माह पहले डायरेक्टर को पत्र भेजा था, लेकिन अबतक कोई जवाब नहीं मिला।
आरपी परौहा, अधीक्षक आइटीआइ।