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डिप्टी रेंजर ने पुलिस पर ऐसा कौन सा आरोप लगाया की सूबे में मच गई खलबली

locationकटनीPublished: Nov 22, 2018 11:31:51 am

Submitted by:

dharmendra pandey

डीएफओ के नाम लिखे पत्र में व्यक्त की पीड़ा, घटना के छह दिन बाद डिप्टी रेंजर ने डीएफओ को लिखा पत्र, सोशल मीडिया में पत्र वायरल

Deputy ranger charged on police

Deputy ranger charged on police

कटनी. रेत के अवैध उत्खनन व परिवहन में पुलिस द्वारा कार्रवाई में सहयोग नहीं किए जाने से व्यथित ढीमरखेड़ा वन परिक्षेत्र के डिप्टी रेंजर मोहम्मद खालिक खान ने डीएफओ को पत्र लिखकर पीड़ा व्यक्त की है। डीएफओ के नाम लिखे पत्र की कापी मंगलवार को सोशल मीडिया में वायरल हुआ। इसमें डिप्टी रेंजर ने सीधे तौर पर ढीमरखेड़ा थाना प्रभारी व पुलिस स्टाफ पर सहयोग नहीं करने व समझौता करने का दवाब बनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि ढीमरखेड़ा थाना प्रभारी ने कहा कि समझौता कर लो, नहीं तो महिला की शिकायत पर चारों लोगों के खिलाफ 354 का प्रकरण दर्ज कर दूंगी। उल्लेखनीय है कि 14 नवंबर को ढीमरखेड़ा के महुदाघाट में रेत माफिया ने ट्रैक्टर से डिप्टीरेंजर के बाइक को टक्कर मारकर वाहन चढ़ाने का प्रयास किया था। जिसमें डिप्टी रेंजर बाल-बाल बच गए थे। बाइक पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी। इसके बाद जानलेवा हमले की शिकायत करने ढीमरखेड़ा थाना पहुंचे। शिकायत में बताया कि केके शुक्ला ने ट्रैक्टर चढ़ाने का प्रयास किया। थाना पहुचने पर मामले में समझौता हो गया था।
सोशल मीडिया में वायरल हुए पत्र में डिप्टी रेंजर ने यह लिखा है….
14 नवंबर को मेरे द्वारा वनरक्षक अश्वनी कुमार शर्मा व प्रताप सिंह राजपूत को रेत का अवैध उत्खनन न हो देखने के लिए महुदा भेजा था। रेत माफिया केके शुक्ला व उसकी मां सुषमा शुक्ला निवासी ग्राम कुदरा देखकर ट्रैक्टर खाली कर भाग रहे थे। दोनों वनरक्षकों ने पीछा किया। दूरभाष पर मुझे सूचना दी। मैं खम्हरिया से वनरक्षक रोहित कोल को साथ लेकर महुदा घाट रोड गया। भाग रहे ट्रैक्टर को रोकने का प्रयास किया। ट्रैक्टर मालिक द्वारा ट्रैक्टर नहीं रोका गया। मोटर साइकिल एमपी-21एमके 4981 के ऊपर चढ़ा दिया। मोटर साइकिल का अगला ***** छतिग्रस्त हो गया। जिसकी सूचना मेरे द्वारा 100 पुलिस व परिक्षेत्र ढीमरखेड़ा आईपी मिश्रा को दी गई। मेरे व स्टाफ द्वारा ढीमरखेड़ा थाने में रिपोर्ट लिखाने का प्रयास किया। रिपोर्ट नहीं लिखी गई। सुषमा शुक्ला द्वारा स्वयं के कपड़े फाड़कर थाने पहुंच गई। थाना प्रभारी व उनके स्टाफ द्वारा ये कहा गया कि अगर तुम रिपोर्ट लिखाओगे तो हम महिला सुषमा शुक्ला की रिपोर्ट पर आईपीसी की धारा 354 के तहत तुम चारों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर दिया जाएगा। नहीं तो तुम लोग समझौता कर लो। मौके पर परिक्षेत्र अधिकरी भी मौजूद थे। जिनकी बातो को भी महिला थाना प्रभारी द्वारा अनदेखा कर दिया गया। राजीनामा हेतु दबाव मनाया गया। जिससे यह प्रतीत होता है कि रेत का अवैध उत्खनन व परिवहन पुलिस की संरक्षण में होता है। परिक्षेत्र सहायक खम्हरिया व उनके स्टाफ को रेत माफियाओं से जान को खतरा है। कभी कोई बड़ी घटना हो सकती है। शासन की मंशानुरूप अवैध रेत परिवहन रोकना वन कर्मचारी व शासन के हर एक कर्मचारी का कर्तव्य है। शासन द्वारा अवैध उत्खनन एवं परिवहन रोकने के लिए कुछ विभागों को चिन्हित किया गया है। उसमें पुलिस, वन, राजस्व व आबकारी विभाग शामिल है। वन विभाग की शिकायत में हमेशा पुलिस द्वारा हीला हवाली की जाती है।

इनका कहना है
मेरे द्वारा डीएफओ का पत्र लिखा गया है। 14 तारीख को मेरे साथ घटना घटी थी। रेंजर के माध्यम से डीएफओ को पत्र लिखकर पीड़ा व्यक्त की गई है।
मोहम्मद खालिक खान, वनपाल परिक्षेत्र सहायक खम्हरिया।
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