इसमें कटनी के पूर्व विधायक सुकीर्ति जैन ने कहा कि नागरिक आपूर्ति निगम में ऐसे घोटाले 20 से अधिक वर्षों से चल रही है। आखिर क्यों अभी तक ऐसे मामलों में कुछ नहीं हुआ और अभी भी यथास्थिति है।
अधिवक्ता ब्रंहमूर्ति तिवारी ने लिखा कि धान खरीदी घोटाले को परत दर परत उजागर करने में पत्रिका ने मिसाल पेश की है। व्यवस्था को कमजोर कर रहे तत्वों पर कार्रवाई से ही संविधान की रक्षा होगी।
समाजसेवी विंद्धेश्वरी पटेल ने कहा कि मिलर्स, अधिकारी, नेता और समाज का ऐसा तबका जो व्यवस्था में कमियों को उजागर करने का बीड़ा उठाकर आगे चलने की बात करते हैं। जो भी दोषी है सब पर कार्रवाई हो।
बहोरीबंद निवासी युवा राकेश कुमार लोधी ने कहा कि राइस मिलर्स के साथ उन सभी लोगों पर भी मामला दर्ज किया जाए जिन्होंने घोटाले को अंजाम देने में अपने दायित्वों का निर्वहन ईमानदारी से नहीं किया।
ऐसे दिया घोटाले को अंजाम - जिले की 15 समितियों (उबरा, पिपरियाकला, धरवारा, बचैया, हदरहटा, सिंगोड़ी, हथियागढ़, सिहुड़ी, बगैहा, सलैया कोठारी, विजयराघवगढ़, करेला, नन्हवारा अमेहटा, बरही, बड़वारा.) से 3 फरवरी को जारी धान डिलेवरी आर्डर में 4286.7 मिट्रिक टन धान का परिवहन कर 7 मिलर्स (गुरूनानक इंडस्ट्रीज, जय श्रीकृष्णा इंडस्ट्रीज, प्रगति राइस मिल, रोहरा इंडस्ट्रीज, सियाराम इंडस्ट्रीज, सुमन सत्य नारायण व वरुण इंडस्ट्रीज) को भेजना बताया गया। मिलर्स ने धान प्राप्त करना स्वीकार कर लिया और नान से भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। बड़ी बात यह है कि 8 करोड़ 31 लाख रुपए के डीओ जारी होने के इस मामले में भौतिक रूप पर धान कहीं नहीं था और सीधे तौर पर सरकारी खजाने पर डाका डालने जैसा कृत्य किया गया। मामला बाहर आने के बाद जांच टीम पहुंची तो पांच मिलर्स मौके से मिल बंद कर चले गए। 10 दिन बाद भी जांच टीम मिल पहुंची तो धान नहीं मिला। इस मामले में 6 मिलर्स पर एफआइआर दर्ज की गई।