इनका कहना है
यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। विभाग प्रमुख से चर्चा करता हूं, फिर इस मामले में कुछ कह पाऊंगा।
सत्येंद्र धाकरे, नगर निगम आयुक्त।
कटनीPublished: Dec 18, 2020 10:00:50 am
balmeek pandey
नगर निगम के अफसरों की कारगुजारी से परेशान हो रहे कर्मचारी, जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान
katni nagar nigam
कटनी. किसी भी सरकारी दफ्तर में बाबू और अफसरों द्वारा किसी काम के लिए बार-बार चक्कर लगवाने और परेशान करने के आपने खूब मामले सुने व देखे होंगे, लेकिन कटनी नगर निगम में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां के अफसर हाईकोर्ट ही नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी मानने को तैयार नहीं हैं। एक साल से चार कर्मचारी नियुक्ति के लिए चक्कर काट रहे हैं। आयुक्त, अधिकारी और बाबुओं की रजामंदी न होने से नियुक्ति नहीं हो पा रही। जानकारी के अनुसार सत्यदेव गौतम, अरविंद सोनी, कमल सोनी, धर्मेंद्र परौहा की भर्ती नगर निगम में हुई थी। 1996 में 393 कर्मचारियों में भर्ती हुई थी। जिन्हें 1999 में हटा दिया गया था। ये चार कर्मचारी ऐसे थे, जिन्होंने 240 दिन से ज्यादा सेवा दे चुके थे, इसलिए फिक्स वेतनसेवी के तौर पर नियुक्ति होनी थी। हैरानी की बात तो यह है कि नगर निगम आयुक्त इन कर्मचारियों को नियक्ति देने की बजाय उनके यह एफीडेविड मांग रहे हैं कि 2013 से 2020 तक के एरियर्स का भुगतान की मांग आप लोग नहीं करेंगे। इसके बाद कह रहे हैं कि मामला संज्ञान में नहीं है।
जानकारी के अनुसार इस मामले को लेकर कर्मचारी लेवर कोर्ट से 2013 में मामला जीत चुके हैं, वापस सेवा में रखने आर्डर हुआ। इसके बाद नगर निगम हाइकोर्ट चली गई, हाइकोर्ट से 2015 में भी नगर निगम हार गई यहां से कर्मचारियों की जीत हुई। इसके बाद ननि सुप्रीम कोर्ट चली गई, यहां से 2019 में भी फैसला कर्मचारियों के पक्ष में हुआ। हैरानी की बात तो यह है कि उनके आवेदन पर अबतक नगर निगम ने विचार नहीं किया। पहले कोरोना के नाम पर फिर आयुक्त न होने के समस्या अधिकारी व बाबू बताते रहे। अब अफसर मीटिंग सहित अन्य बहाने बनाकर मामले को लटकाया जा रहा है। बता दें कि 2013 से इन कर्मचरियों 1800 रुपये प्रतिमाह वेतन का भुगतान भी हो रहा है, लेकिन नियुक्तिपत्र अभी तक जारी नहीं हो पा रहे।
इनका कहना है
यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। विभाग प्रमुख से चर्चा करता हूं, फिर इस मामले में कुछ कह पाऊंगा।
सत्येंद्र धाकरे, नगर निगम आयुक्त।