कटनीPublished: Feb 13, 2021 10:07:30 am
balmeek pandey
नदी की सुरक्षा और संरक्षा को लेकर गंभीर नहीं जिला प्रशासन व नगर निगम
घास का मैदान नहीं बल्कि यह नजारा ‘जीवनदायनी’ का है…
कटनी. जहां तक नजर जा रही है वहां तक हरियाली की चादर दिखाई दे रही है, मानो यह घास का मैदान हो, लेकिन आपको जानकर ताज्जुब होगा कि यह मैदान नहीं बल्कि शहर की जीवनदायनी कही जाने वाली कटनी नदी है, जो प्रशासनिक उपेक्षा, नगर निगम की अनदेखी के चलते बदहाली के आंसू बहा रही है। नदी को संवारने नगर निगम व जिला प्रशासन द्वारा योजना तो बनाई जा रही है, लेकिन वह कागजों से बाहर नहीं निकल रही। अब एक बार फिर 28 करोड़ रुपये की लागत से कटनी रिवर फं्रट योजना का झुनझुना मिला है, अब देखने वाली बात होगी कि जीवनदायनी का जीवन संवर रहा है कि नहीं। बता दें कि इस नदी से शहर की आधी से ज्यादा आबादी प्यास बुझाती है, कई गांव के किसान आश्रित हैं, बावजूद इसके नदी के संरक्षण को लेकर कोई कवायद नहीं हो रही। गाटरघाट के ऊपर व घाट पर नदी में प्रतिदिन सैकड़ों लोग निस्तार करते हैं। जलकुंभी सहित अन्य जलीय पौधों के कारण व गंदगी के कारण लोगों को निस्तार में भारी मुसीबत होती है। अमृत प्रोजेक्ट के तहत सीवर लाइन ट्रीटमेंट प्लांट पर भी काम नौ दिन चले अढ़ाई कोस की तर्ज पर हो रहा है, जिसका खामियाजा जीवनदायनी अपने में गंदे नालों को समाहित कर भुगत रही है।