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मनुष्य द्वारा प्रकृति से की गई अंधाधुंध छेड़छाड़ का नतीजा ही कि प्राकृतिक आपदा का ग्राफ बढ़ रहा है। ऐसे में प्रकृति के साथ हो रहे दोहन के कारण बढ़ रहे हादसों को बचाने जागरुक किया। साथ ही आपदा प्रबंधन से कैसे आसान तरीके से बचा जा सकता है यह प्रैक्टिकल करके बताया गया। श्री सत्य साईं सेवा समिति कटनी द्वारा आयोजित किया गया।
Published: 18 Feb 2020, 12:30 PM IST
कटनी. मनुष्य द्वारा प्रकृति से की गई अंधाधुंध छेड़छाड़ का नतीजा ही कि प्राकृतिक आपदा का ग्राफ बढ़ रहा है। ऐसे में प्रकृति के साथ हो रहे दोहन के कारण बढ़ रहे हादसों को बचाने जागरुक किया। साथ ही आपदा प्रबंधन से कैसे आसान तरीके से बचा जा सकता है यह प्रैक्टिकल करके बताया गया। श्री सत्य साईं सेवा समिति कटनी द्वारा आयोजित किया गया। जिसमें प्राकृतिक आपदाएं जैसे बाढ़, आग, सुनामी, भूकंप, घरेलू रसोई गैस रिसाव, मिर्गी आने पर, वाहन दुर्घटना में घायलों की मदद, हार्ट अटैक आने पर घर में ही त्वरित उपचार, सर्प या जहरीले कीड़े द्वारा काट लेने पर या अचानक हुए फूड प्वाइजनिंग, उल्टी दस्त आदि से बचाव व फस्र्ट ऐड, प्राथमिक उपचार के अनेक तरीके बताए गए। कटनी समिति के सेवादल सदस्यों द्वारा यह लोगों को बताया गया। पूर्णत: नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसमें थ्योरी एवं प्रैक्टिकल द्वारा दिया गया। इसमें पुरुषों, महिलाओं व बच्चों ने उत्साह पूर्वक हिस्सा लिया। इस दौरान प्रशिक्षुओं को साईं समिति के जिलाध्यक्ष एवं समिति समन्वयक द्वारा प्रमाणपत्र वितरित किए गए। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान एवं आरती के पश्चात हुआ।
भूकम्प से बचने के बताए तरीके
बताया गया कि अपनी इमारत की संरचना की इंजीनियरों द्वारा जांच कराएं और यदि सम्भव हो तो कमजोर भागों को मजबूत कराएं, घर में गीजर, बड़े फ्रम वाले फोटो, आइने वगैरह ऐसे स्थानों पर ऊंचे न टांगें कि वे गिर कर किसी को घायल कर सकें। भूकम्प के समय आपकी सबसे बढिय़ा प्रतिक्रिया होगी कि निकल भागें, ओट लें अथवा ज्यों का त्यों खड़े रहें। जमीन पर लेट जाएं, किसी मजबूत मेज या बेड के नीचे छिप जाएं, घुटनों पर सिर रख लें, सिर हाथों से ढक लें। अगर उपलब्ध हो तो अपना सिर तकिए से ढक लें। अगर पास में कोई मेज या बेड आदि ओट लेने को न हो तो दरवाजे के बीच खड़े हों और भूकम्प रुकने का इन्तजार करें। खिड़कियों, लटक रहे और गिर सकने वाली भारी वस्तुओं से दूर रहें। इमारत से बाहर तभी निकलें जब भूकम्प रुक जाए।
बाढ़ में रखे यह सावधानी
उन ऊंची जगहों की पहचान करें जहां आप बाढ़ के समय पनाह ले सकते हैं। जब तक बहुत जरूरी न हो, बाढ़ के पानी में न घुसें। पानी की गहराई का पता करें और किसी लाठी से जमीन की मजबूती मालूम कर लें। जहां बिजली के तार गिरे हों, उधर मत जाएं। अपनी गैस और बिजली की सप्लाई बन्द कर दें। बिजली के उपकरणों का स्विच बन्द कर दें। बाढ़ के बाद अक्सर जल जनित रोग फैलते हैं। उनसे बचने के उपाय करें। गैस रिसाव व आग लगने पर हर रात गैस सिलेंडर की नॉब को बंद करके ही सोना चाहिए। साथ ही गैस के पाइप को हर 6 महीने में बदलते रहना चाहिए। आग लगने से सिलेंडर कभी फटता नहीं, बल्कि अगर इसमें धमाका होता है, तो इस पर बाहरी हीट लगने से यह हादसा होता है। सिलेंडर की नोजल से निकल रही आग को बुझाने के लिए सबसे पहले सिलेंडर को टेढ़ा कर बाहर फेंक देना चाहिए या उसको पानी में डुबो देना चाहिए।
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आग में रखें यह सावधानी
आग लगने पर सुनिश्चित करें कि आपका मकान, पड़ोस ज्यादा से ज्यादा आग से सुरक्षित हो। सुनिश्चित करें कि आग बुझाऊ यन्त्र चालू हालत में हो। पड़ोस में न तो रिसने वाली गैस पाइप हो और न ही चटखी हुई बिजली की तारें। अनुमति से अधिक बिजली न खींचें। ज्वलनशील सामग्री सुरक्षित स्थान पर रखें। सम्भव हो तो स्मोक डिटेक्टर लगाएं जो धुआं निकलते ही संकेत देता है। ज्वलनशील पदार्थ बच्चों की पहुंच से दूर रखें। घर/इमारत में आग से बचने का रास्ता तय करें। आग लगने पर अपने मुंह को भीगे तौलिये से ढकें ताकि धुआं असर न करें। भागते समय रेंग कर निकलें क्योंकि ऊपर जहरीली गैसें, धुआं हो सकता है। अगर कपड़ों में आग लग जाए तो भागें नहीं। आग बुझाने के लिए जमीन पर लुढ़कें, जब तक सुरक्षित होने की घोषणा न की जाए, तब तक इमारत में प्रवेश न करें। जले भाग को ठंडक पहुंचाएं और विशेष प्राथमिक चिकित्सा का लाभ उठाएं।
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