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कटनी

लकड़ी के पटिया में बैरिंग लगाकर दिनभर खीचती है पत्नी, 60 साल बाद भी दिव्यांग को हाथ लगी निराशा

60 साल में नहीं मिली ट्राइसाइकिल, शिविर में मोटराइज्ड ट्राइसाइकिल का सपना टूटा

कटनीNov 23, 2021 / 08:52 pm

balmeek pandey

लकड़ी के पटिया में बैरिंग लगाकर दिनभर खीचती है पत्नी, 60 साल बाद भी दिव्यांग को हाथ लगी निराशा

लकड़ी के पटिया में बैरिंग लगाकर दिनभर खीचती है पत्नी, 60 साल बाद भी दिव्यांग को हाथ लगी निराशा

कटनी. बचपन से ही 80 फीसदी से अधिक दिव्यांग 67 वर्षीय पति महेश प्रसाद निवासी मुरवारी ढीमरखेड़ा को पत्नि मीरा बाई लगभग 60 किलोमीटर की दूरी तय कर कटनी पहुंची। घर से पति को तैयार कर पटिया में बैठाकर पत्नी बस स्टैंड पहुंची, बस का इंतजार किया, स्थानीय लोगों की मदद से दिव्यांग पति को बस में चढ़वाया और फिर बस के कटनी पहुंची। दो सौ रुपये किराया भी लगाया, कटनी पर ऑटो से कचहरी चौकी पहुंची 80 रुपये फिर किराया चुकाया और फिर पटिया से घसीटते हुए पति को एसडीएम कार्यालय लेकर पहुंची, वहां से पता चला कि द्वारिका भवन में मोटराइज्ड ट्राइसाइकिल का वितरण हो रहा है, उत्साह के साथ एकदम शिविर में पति को लेकर गई, उम्मीद थी कि अब बस कुछ मिनटों में पटिया में पति को घसीटने की समस्या दूर हो जाएगी, लेकिन इस बार भी मीराबाई को बड़ी निराशा हाथ लगी, शिविर में बुलाने के बाद उसे यह कह दिया गया कि तुम्हारे पति को ढीमरखेड़ा में ही वाहन मिलेगा और फिर लगभग तीन सौ रुपये खर्च कर दोनों दंपत्ति निराश होकर लौट गए।

सिर्फ जयपुर से मिली मदद
महेश ने कहा कि 600 रुपयें पेंशन मिलती है, सोमवार को पांच सौ रुपये से ज्यादा खर्च हो गए। 35 किलो अनाज में गुजर-बसर कर रहे हैं। मझगवां से एक दोस्त गोविंद की साइकिल मांग लिए है, वह खराब हो गई है। लेकिन अब हमारा कर्तव्य होता है कि सही करवाकर साइकिल लौटा दें, लेकिन चार्जर सहित अन्य सामान भी नहीं मिला। जयपुर से हाथ वाली गाड़ी लेकर आए थे, वह खराब हो गई है। लॉकडाउन के कारण जयपुर भी नहीं जा पाए, सिर्फ लाभ जयपुर से मिला है। शासन-प्रशासन के हम आधीन हैं, नहीं देगी तो न कुछ कह सकते न कुछ कर सकते। भगवान पर भरोसा है। अच्छा है तो सही है, बुरा है तो सही है। अब जो कष्ट लिखे हैं वह तो भोगने पड़ेगे। महेश ने कहा कि किसी से कोई शिकवा नहीं है। महेश का कहना है कि साइकिल नहीं देना था तो न बुलाते।

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