अगर पहले से किसी वेबसाइड में सूची जारी हुई है तो उसे हटा दिया जाए। आदेश के परिपालन में नाम सार्वजनिक नहीं होने को लेकर नागरिकों का कहना है कि देश के ग्रहमंत्री से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री तक स्वयं के कोरोना पॉजिटिव होने की जानकारी दे रहे हैं। इससे उनके संपर्क में आने वाले समय पर परीक्षण करवा रहे हैं, लेकिन आम नागरिकों को तो यह तक पता नहीं चल पा रहा है कि उनसे मिलने वाला कहीं पॉजिटिव तो नहीं निकल गया।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा रविवार को संदेश जारी कर कहा गया कि कोरोना पॉजिटिव के संपर्क में आने वाले व्यक्ति नजदीकी अस्पताल में जाकर सैंपलिंग करवाएं। इस पर नागरिकों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कहा कि जब पता ही नहीं चल रहा है कि कौन व्यक्ति पॉजिटिव आया है तो फिर लोग कैसे जान पाएंगे और सैंपलिंग करवाएंगे।
सीएमएचओ डॉ. आरबी सिंह ने बताया कि शासन से जारी आदेश के परिपालन में कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति की पहचान सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है। यहां भी कई लोग आकर यह कह चुके हैं कि कैसे पता चले कि उनके संपर्क में रहने वाला कौन व्यक्ति पॉजिटिव निकला है।
खास बातें
– रैपिड रिस्पांस टीम के सदस्यों का मानना है कि नाम सार्वजनिक नहीं होने से कांटेक्ट ट्रेसिंग पॉजिटिव मरीज के कथन पर ही केंद्रित होता है। मरीज ने अगर किसी की जानकारी छिपा दी तो उस व्यक्ति तक समय पर पहुंचना मुश्किल है।
– इंदौर में पॉजिटिव व्यक्ति द्वारा स्वयं जानकारी सार्वजनिक करने के बाद संपर्क में आने वाले सैंपलिंग करवा रहे हैं। ऐसा फिलहाल कटनी में नहीं होने के कारण समस्या है।
– स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति की जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए। इससे इस बीमारी से लडऩे में आसानी होगी।