दर्ज होगा आपराधिक प्रकरण
बता दें कि उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश एवं मप्र शासन के महाअधिवक्ता द्वारा दिए गए अभिमत के अनुसार उक्त राशि वसूली योग्य है। न्यायालय द्वारा गुण-दोष के आधार पर गुरुजी को नियमित वेतनमान देने आदेश पारित किया गया है। इसके बावजूद भी लाखों रुपये का भुगतान अनियमित रूप से किया गया है। इससे शासन को बड़ी हानि पहुंची है। इस कदाचरण पर अधिकारी-कर्मचारियों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज करने सहित विभागीय जांच बैठाए जाने के निर्देश दिए गए हैं। बता दें कि प्रमुख सचिव मप्र शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा भी 28 नवंबर 2011 को विस्तृत निर्देश जारी किए गए हैं। आदेश में यह बताया गया था कि गुरुजी की नियुक्ति अन्य योजना के अंतर्गत की गई है। इन्हें नियमित वेतनमान की पात्रता नहीं है।
ये भी हैं दोषी
बता दें पत्रिका द्वारा इस मामले को प्रमुखता से उजागर किया गया। जिसके बाद जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जगदीशचंद्र गोमे ने जांच कराई। जांच में तत्कालीन बड़वारा विकासखंड शिक्षा अधिकारी, तत्कालीन बड़वारा प्राचार्य, तत्कालीन बड़वारा लेखापाल नरेंद्र गुप्ता, विकासखंड अधिकारी कटनी, तत्कालीन बसाड़ी प्राचार्य, तत्कालीन सहायक ग्रेड-3 बसाड़ी अश्वनी शुक्ला, तत्कालीन विकासखंड अधिकारी ढीमरखेड़ा सहित रामसिंह उइके प्राचार्य शासकीय उमा विद्यालय देवराकलां विगढ़ की मिलीभगत पाई गई है।