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कटघरे में डीपीसी: सरकार को लगाया एक करोड़ 85 लाख का चूना, कलेक्टर ने जारी किया ये फरमान

locationकटनीPublished: Sep 26, 2020 09:32:49 am

Submitted by:

balmeek pandey

तत्कालीन डीपीसी रमाशंकर गौतम को कलेक्टर ने जारी किया नोटिस, सात दिन में मांगा जवाब, समाधान कारक जवाब न होने पर होगी निलंबन की कार्रवाई, गुरुजी से सहायक अध्यापक बने शिक्षकों को नियम विरुद्ध तरीके से किए गए वेतनमान एरियर्स भुगतान का मामला

Crores of rupees scam in post office

Crores of rupees scam in post office

कटनी. जिले की शिक्षा गारंटी शाला में पदस्थ रहे गुरुजियों को 1 अप्रैल 2008 से 2500 रुपये प्रतिमाह मानदेय का भुगतान किया जाना था। जिसकी कार्यवाही 31 अक्टूबर 2009 तक पूर्ण कर एरियर्स का भुगतान संकुल प्राचार्य द्वारा वेतनमद से किया जाना था। लेकिन जिने में अफसरों की सांठगांठ से प्रथम नियुक्ति दिनांक से ही पूर्ण मानदेय एवं 1 अप्रैल 07 के अध्यापक संवर्ग में संविलियन कर एरियर्स का भुगतान किया गया है। इस पूरे मामले में तत्कालीन डीपीसी व हाल प्राचार्य शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय करकेली जिला उमरिया रमाशंकर गौतम को भी जांच में दोषी पाया गया है। बता दें कि डीपीसी द्वारा गुरुजियों को एक करोड़ 85 लाख 81 हजार 216 रुपये का भुगतान नियम विरुद्ध तरीके से किया गया है। इसमें डीपीसी की घोर लापरवाही सामने आई है। इस मामले में कलेक्टर एसबी सिंह ने गुरुवार को नोटिस जारी कर सात दिवस में जवाब मांगा है। इसमें 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की गणना कर राशि वसूल करने निर्देश दिए गए हैं। तत्कालीन डीपीसी रमाशंकर गौतम से 7 दिवस के अंदर जवाब मांगा गया है। समय पर समाधानकारक जवाब न मिलने पर निलंबन की कार्रवाई होगी।

दर्ज होगा आपराधिक प्रकरण
बता दें कि उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश एवं मप्र शासन के महाअधिवक्ता द्वारा दिए गए अभिमत के अनुसार उक्त राशि वसूली योग्य है। न्यायालय द्वारा गुण-दोष के आधार पर गुरुजी को नियमित वेतनमान देने आदेश पारित किया गया है। इसके बावजूद भी लाखों रुपये का भुगतान अनियमित रूप से किया गया है। इससे शासन को बड़ी हानि पहुंची है। इस कदाचरण पर अधिकारी-कर्मचारियों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज करने सहित विभागीय जांच बैठाए जाने के निर्देश दिए गए हैं। बता दें कि प्रमुख सचिव मप्र शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा भी 28 नवंबर 2011 को विस्तृत निर्देश जारी किए गए हैं। आदेश में यह बताया गया था कि गुरुजी की नियुक्ति अन्य योजना के अंतर्गत की गई है। इन्हें नियमित वेतनमान की पात्रता नहीं है।

ये भी हैं दोषी
बता दें पत्रिका द्वारा इस मामले को प्रमुखता से उजागर किया गया। जिसके बाद जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जगदीशचंद्र गोमे ने जांच कराई। जांच में तत्कालीन बड़वारा विकासखंड शिक्षा अधिकारी, तत्कालीन बड़वारा प्राचार्य, तत्कालीन बड़वारा लेखापाल नरेंद्र गुप्ता, विकासखंड अधिकारी कटनी, तत्कालीन बसाड़ी प्राचार्य, तत्कालीन सहायक ग्रेड-3 बसाड़ी अश्वनी शुक्ला, तत्कालीन विकासखंड अधिकारी ढीमरखेड़ा सहित रामसिंह उइके प्राचार्य शासकीय उमा विद्यालय देवराकलां विगढ़ की मिलीभगत पाई गई है।

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