अब कटनी के उमरियापान सहित तमाम ग्रामीण इलाकों का हाल ये है कि नादियां महीने भर पहले ही सूख चुकी है। कुछ नदियों में पानी बचा है तो धार खत्म हो चुकी है। कमोबेश यही हाल ग्रामीण अंचल के ताल तलैयों का है। कुछ क्षेत्र के तलाबों में अभी थोडा बहुत पानी बचा है, लेकिन कई जगह तालाब और तलैये दलदल में तब्दील हो चुके हैं। इससे ग्रामीणों के साथ शहरवासी भी पेयजल संकट से जूझने को विवश हो रहे हैं।
लेकिन आमजन की इस बड़ी समस्या से प्रशासन को जैसे कोई लेना-देना ही नहीं रह गया है। सरकारी व्यवस्थाएं सिर्फ कागजों तक ही सिमटी हैं। अभी शुरूआत में जलसंकट लोग जूझने लगे, जब भीषण गर्मी पडेगी तब लोग बूंद बूंद पानी के लिए मोहताज होंगे। लेकिन प्रशासन सिर्फ दिखाने के लिए खुद को चौकस दिख रहा है। धरातल पर प्रयास नाकाफी हैं।
उमरियापान क्षेत्र में किवली तालाब, धुबहा, गुरहा तालाब सूखकर मैदान में तब्दील हो गए हैं। इनमें एक या दो गड्ढों में ही पानी बचा है। कमोबेश यही हाल जगदीश तालाब, बिरखा तालाब, शंकरघाट सहित अन्य तालाबों का है। उनमें भी जलस्तर लगातार घटता जा रहा है। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि मई व जून की भीषण गर्मी में क्या हाल होंगे?
यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में इंसान तो इंसान पशु-पक्षियों को भी पानी नसीब नहीं होगा। लोगों का कहना है कि पिछले कई वर्षों से क्षेत्र के तालाबों का गहरीकरण नहीं कराया गया, जिसके चलते गर्मी की शुरूआत में ही तालाब सूखकर मैदान दिखने लगे हैं। बताया जाता है कि क्षेत्र के तालाबों के संरक्षण व संवर्धन की दिशा में सिर्फ कागजी घोडे दौडाये जा रहे हैं, जिसके चलते हर वर्ष गर्मी की दस्तक में तालाबों की ऐसी भयावह तस्वीर सामने आती है।