कटनी

प्रधानमंत्री मोदी की इस महत्वाकांक्षी योजना को लेकर लापरवाह बने स्वास्थ्य विभाग के अफसर, जानिए क्यों

-जिले में आयरन की गोलियों का स्टॉक भरपूर, एक माह बाद भी स्कूलों में नहीं पहुंची दवाइयां
-मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों को स्कूलों में पहुंचानी थी आयरन की गुलाबी व नीली गोली
-केंद्र सरकार के एनीमिया मुक्त देश बनाने में जिले के जिम्मेदार बने उदासीन
 

कटनीJul 26, 2019 / 10:36 am

dharmendra pandey

शासकीय आदर्श प्राथमिक शाला बरगवां।

कटनी. केंद्र सरकार की एनीमिया मुक्त देश बनाने की महत्वाकांक्षी योजना को लेकर जिले का मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग लापरवाही बरत रहा है। प्राथमिक से लेकर माध्यमिक तक की सरकारी स्कूलों में बच्चों को आयरन की गोलियां नहीं खिलाई जा रही है। इसका कारण यह है कि सरकारी स्कूलों में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों द्वारा गोलियां पहुंचाई हीं नही गई। जबकि सरकारी स्कूलों को खुले हुए एक माह से अधिक का समय हो गया। जिले में आयरन की गोलियां का स्टॉक भी भरा पड़ा हुआ है। इसके बाद भी जिले के जिम्मेदारों द्वारा बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। आयरन की गोलियां बंट रही है या नहीं इसको लेकर पत्रिका ने शहरी क्षेत्र की सरकारी स्कूलों में जाकर पड़ताल की। शासकीय माध्यमिक व प्राथमिक शाला बरगवां में दवाइयां ही नहीं पहुंची थी।
1823 सरकारी स्कूलों में दर्ज है 1 लाख 30 हजार छात्र
जिले में 1823 प्राथमिक व माध्यमिक सरकारी स्कूल हैं। इसमें 1295 प्राथमिक व 528 माध्यमिक शाला हैं। सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 8वीं तक के छात्रों की संख्या भी 1 लाख 30 हजार से अधिक है। इन सभी छात्रों को हर मंगलवार व शुक्रवार को आयरन की गोलियां बांटी जानी है। प्राइमरी स्कूल मेंं पढ़ाई करने वाले छात्रों को गुलाबी रंग की व माध्यमिक स्कूलों के छात्रों को नीली रंग की गोली का वितरण किया जाना है, लेकिन विद्यार्थियों को यह गोली स्कूलों में नही दी जा रही है।
इसलिए सरकारी स्कूलोंं बांटी जा रही है आयरन की गोलियां
सरकारी स्कूलों में आयरन की गोलियां बंटवाने का सरकार का मुख्य उद्देश्य यह है खून की कमी को दूर करना। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करने वाले अधिकांश बच्चे गरीब परिवार से होते है। सही तरीके से खानपान नहीं होने के कारण बच्चे जन्म से ही कुपोषण का शिकार हो जाते है। खून की कमीं से जूझ रहे बच्चों की आंखें, जीभ, त्वचा व होंठ पीले पड़ जाते है। चेहरे व पांवों में सूजन आ जाते है। कम उम्र में ही बच्चों की आंखों में चश्मा लगना शुरू हो जाता है। बच्चों का पढ़ाई में मन भी नही लगता है।

नही उठाया फोन
स्कूलों में आयरन की गोलियां क्यों नहीं पहुंची है, इसको लेकर जब सीएमएचओ से संपर्क साथा गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।
डॉ. एसके निगम, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी।

नहीं आई गोलियां
स्वास्थ्य विभाग द्वारा सरकारी स्कूलों में आयरन की गोलियां भिजवाई जाती है। अभी तक आई नहीं है। जैसे ही गोलियां स्कूलों में आ जाएंगी। हम बच्चों को बंटवाना शुरू कर देंगे।
बीबी दुबे, प्रभारी डीपीसी।

लेटलतीफी का पता लगवाया जाएगा
स्कूलों में आयरन की गोलियां क्यों नही पहुंचाई गई है, इसका पता लगवाया जाएगा। आयरन की गोलियां पहुंचाने स्वास्थ्य विभाग को इस संबंध में निर्देश भी जारी किए जाएंगे।
शशि भूषण सिंह, कलेक्टर।

 

 
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