बच्चों में क्यों होती है एकाग्रता की कमी
शिक्षक सरमन तिवारी के अनुसार हर चीज की अति बुरी होती है। बच्चों की मासूमियत और चंचलता हम सभी को लुभाती है, लेकिन जब यह उनकी एकाग्रता और पढाई में बाधा बन जाए तो यह मुश्किल पैदा कर सकती है। बच्चों का सबसे बड़ा दुश्मन है आज का टेक्नोसेवी युग। आधुनिक उपकरण जैसे टीवी, मोबाइल, वीडियो गेम्स, आदि जो बच्चों के मानसिक दिमाग के विकास को रोककर उन्हें एकाग्र होने में असक्षम बनाते हैं। नींद की कमी से शरीर में थकान का स्तर बढ़ता है और बच्चे का एनर्जी लेवल कम हो जाता है। परिणामस्वरूप बच्चे ध्यान केंद्रित करने में सक्षम नहीं हो पाते हैं और उनका बच्चों का पढ़ाई में मन न लगना हाइपरएक्टिविटी डिजॉर्डर (एडीएचडी) भी हो सकता है। 70 प्रतिशत बच्चों में एकाग्रता की कमी का कारण नींद पूरी न होना है। किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का अनुभव होने पर बच्चे में एकाग्रता की कमी की आशंका बढ़ जाती है। बच्चे की अनियमित डाइट उसकी एकाग्रता को भंग कर सकती है और उससे कहीं भी ध्यान नहीं लगाने देती। रिसर्च के अनुसार, भूखे रहने से आपकी अल्पकालिक स्मृति और ध्यान प्रभावित होता है।
मन की एकाग्रता कैसे बढ़ाएं
नींद: ज्यादातर बच्चे एक अच्छी और बेहतर नौ घंटे की नींद के बाद चीजों पर अधिक ध्यान दे पाते हैं। इसलिए यह सुनिश्चित करें कि वो नींद जरूर पूरी करें।
न्यूट्रिशनल डाइट: पोषक तत्वों से भरपूर आहार बच्चों में ऊर्जा स्तर, एकाग्रता, कौशल, स्वास्थ्य और वजन के लिए जरुरी है। सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे एक न्यूट्रिशनल डाइट लें।
व्यायाम: शैक्षिक विशेषज्ञों ने शारीरिक गतिविधि को बेहतर एकाग्रता के लिए जरुरी माना है।
प्रोत्साहन और पुरस्कार: प्रशंसा, नियमित प्रोत्साहन और पुरस्कार निश्चित रूप से आपके बच्चे की एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करते हैं।
सही माहौल का चुनाव: आप जिस माहौल में काम करते है, वह एकाग्रता को बढ़ाने में काफी महत्वपूर्ण होता है। अच्छे माहौल में बच्चे एकाग्रता को हासिल कर सकते हैं।
टाइम प्लान बनाएं: अपने बच्चे की रोजाना की दिनचर्या बनाएं और समय भी निर्धारित करें।