पत्ते बने खाद
ृकृषक के अनुसार खेत में लगे पेड़ों की पत्तियां जमीन पर गिरती हैं। आधे खेत में किसान कुदाल से खुदाई कर पत्तियों को भूमि पर मिलाकर पानी डालकर सड़ाते हैं। जिससे यह जैविक खाद बन जाती है। इसी खेत में किसान सब्जियों की खेती करता है। नुकसान एवं रासायनिक कीटनाशकों द्वारा कीड़ों की रोकथाम के लिए उपयोग करता था। दवाइयों के बार-बार उपयोग एवं खर्च अधिक होने से सब्जियों की खेती में घाटा लग रहा था। तकनीकी जानकारी के लिए कृषक ने जैविक कृषि पाठशाला नैगवां में प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन प्राप्त किया। इस दौरान कृषक को गेंदा के फूलों की खेती करने की सलाह दी गई। मई-जून माह में कृषक ने गेंदा के फूलों की नर्सरी तैयार की। इसके बाद फूलों की रोपाई कराई।
30 से 40 रुपये में बिक रहा फूल
कृषक अब फूलों की बढिय़ा पैदावार कर जबलपुर में बेंच रहा है। किसान ने बताया कि अगस्त माह में 30 से 40 रुपये प्रतिकिलोग्राम के मान फूल बिका, जून माह में 60 से 70 रुपये किलो की आमदनी हुई। दिसंबर से फरवरी तक 20 से 25 रुपए, मार्च से जून तक 60 से 70 रुपये किलोग्राम तक बिकता है। कृषक पिछले तीन वर्षों से फूलों की खेती कर रहा है। प्रथम वर्ष 25 हजार, द्वितीय वर्ष 50 से 60 हजार, रुपए की आमदनी प्राप्त की। वहीं इस वर्ष अबतक फूल बेंचकर 30 हजार रुपये का मुनाफा प्राप्त कर चुका है। किसान ने बताया कि फूलों को बंदर भी नुकसान नहीं पहुंचाते, मवेशी भी नहीं खराब करते। लगभग जीरो बजट में फूल की खेती कर मुनाफा कमा रहा है। किसान ने गेंदा के साथ अन्य गुलाब सहित अन्य फूलों की खेती में भी हाथ आजमाने लगा है।