scriptvideo: किसान ने कहा विभाग ही हो गया समस्या ये क्या करेंगे समाधान, अधिकारी बोले मैं भी किसान का बेटा, मुझे पता है उत्पादन | Farmer said the department has become a problem, what will they do? | Patrika News

video: किसान ने कहा विभाग ही हो गया समस्या ये क्या करेंगे समाधान, अधिकारी बोले मैं भी किसान का बेटा, मुझे पता है उत्पादन

locationकटनीPublished: Sep 26, 2019 12:34:58 pm

कृषि आधारित अन्य गतिविधियों से किसानों को जोडऩे के लिए आयोजित कार्यशाला में हुई तीखी नोक झोंक.

Farmers and officials present in the workshop

कार्यशाला में मौजूद किसान और अधिकारी

कटनी. जिला पंचायत सभागार में कृषि आधारित अन्य गतिविधियों से किसानों को जोडऩे के लिए आयोजित कार्यशाला में बुधवार को उन्नतशील किसान मनु नारला और कृषि विभाग के उपसंचालक के बीच नोक झोंक हुई। कार्यशाला में अपनी बात रखते हुए किसान नारला ने कहा कि विभाग के अधिकारी किसान को बताते हैं कि खेती कैसे बने लाभ का धंधा और सलाह देते हैं धान की खेती करने की।
उन्होंने सवाल उठाया कि कोई बताए कि कभी भी धान की कीमत में प्याज व टमाटर जैसी उछाल देखी है। अगर बाजार में कीमत में उछाल नहीं तो किसान को कैसे लाभ होगा। उन्होंने कृषि विभाग पर सीधे सवाल उठाते हुए कहा कि जब विभाग खुद समस्या बन जाए तो समाधान की उम्मींद किससे की जा सकती है। कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर केएल कोष्टा द्वारा कार्यशाला में धान की खेती पर दी जानकारी गई। इस पर किसान ने सवाल उठाया कि आप बताएं कि एक एकड़ में धान का कितना उत्पादन होगा।
इस पर अधिकारी भी भड़क गए। उन्होंने स्वयं को किसान का बेटा बताते हुए कहा कि एक एकड़ में एसआरआइ पद्धति में 68 क्विंटल धान का उत्पादन हुआ है। किसान और अधिकारी के बीच नोक झोंक बढ़ते देख उद्योग विभाग के महाप्रबंधक अजय श्रीवास्तव ने मामले को संभाला और धान की पारंपरिक बीज का संग्रहण करने वाले सतना के किसान का उदाहरण देकर इस दिशा में किसानों से काम करने की बात कही।
कलेक्टर एसबी सिंह ने कार्यशाल में किसानों से कहा कि कृषि आय दोगुनी करने के लिए किसान परम्परागत खेती को वेल्यू एडीशन से जोड़ें तथा कृषि के साथ पशुपालन, मत्स्य पालन, कुटीर उद्यम, कृषि यंत्रीकरण, उद्यानिकी, खाद्य प्रसंस्करण, भंडारण, ड्रिप एरिगेशन की अन्य सहायक गतिविधियां भी अपनायें। किसान अपने घर के सदस्यों को भी उत्पादक गतिविधियों से जोड़ें। स्वसहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं को संगठित कर कृषि की सहायक गतिविधियों और पापड़, बड़ी, बेकरी, छोटे-छोटे घरेलू उत्पाद तैयार करने के उद्यम से जोड़ें।
उन्होने कहा कि विभिन्न विभागों की स्वरोजगार योजनाओं का लाभ लें और स्थानीय उपलब्धता के अनुसार फसलों का वेल्यू एडीशन करें। कमिश्नर जबलपुर राजेश बहुगुणा के निर्देश पर आयोजित कार्यशाला में प्रगतिशील किसान पुरुषोत्तम ठाकुर ने स्वयं के अनुभव बताते हुये कहा कि उन्होने परम्परागत खेती में अरहर और आलू की खेती, तरबूज और खरबूज की खेती को अपना कर तीन फसलें लीं और वर्षभर में एक लाख रुपये प्रति एकड़ का मुनाफा कमाया।
कार्यशाला में उपसंचालक कृषि, परियोजना अधिकारी उद्यानिकी, मत्स्य पालन, पशुपालन, खाद्य प्रसंस्करण, वेयर हाउसिंग लॉजिस्टिक कॉर्पोरेशन द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी दी गई।
मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत जगदीश चन्द्र गोमे ने कहा कि एनआरएलएम के माध्यम से ग्रामीण महिलायें समूहों के रुप में तेवरी में उत्पादित होने वाले स्वीट कॉर्न के खाद्य प्रसंस्करण के अलावा अन्य घरेलू उद्यम भी कर सकती हैं। परपरागत खेती में गेहूं और धान मुख्य फसल में उत्पादन की ग्रेडिंग कर वेल्यू एडीशन कर सकते हैं।
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