प्रयोग कर दी जा रही जानकारी
जैविक कृषि पाठशाला नैगवां में जिला सहित अन्य जिलो के सान पहुंचकर जैविक खेती का तरीका सीख रहे हैं। पाठशाला में संचालक रामसुख दुबे द्वारा मंगलवार को यहां विशेष कक्षा का आयोजन किया जा रहा है। सोहन वंशकार आदि ने बताया कि इस पाठशाला से जीरो बजट की खेती की जानकारी दी जा रही है। कम से कम लगात में अधिक मुनाफे की खेती का जानकारी मिल रही है। इसके अलावा रासायनिक फसलों से मुक्ति और शुद्ध उपज मिल रही है। जैविक पाठशाला नैगवां में केंचुआ खाद, नाडेप टाका खाद, एजोला उत्पाद, मटका खाद, अमृत संजीवनी, जीवामृत आदि तैयार करने की विधि सिखाई जा रही है। धान में नींदा विधि के लिए उपयोग में आने वाला यंत्र कोनोवीडर, गेहूं सफाई के लिए स्पाइरल ग्रेडर, पैडी ड्रम सीडर-धान बोने वाले यंत्र की जानकारी, खरपतवार निकालने के लिए हैंडहो यंत्र, बीज उपचार ड्रम का प्रशिक्षण दिया जाता है।
बगैर लागत बेहतर कीटनाशक
यहां पर बगैर लागत के कीटनाशक को तैयार कराने की विधि बताई जा रही है। यहां पर गौ-मूत्र नीम की पत्ती से तैयार की जाने वाले पांच पत्ती काढ़ा (बेसरम, धतूरा, नीमपत्ती, आक और सीताफल) तैयार किया जा रहा है। यह फसलों में इल्ली, भुनगी, माहू सहित अन्य कीटों को मारता है। इससे फसलें कीट प्रकाप से खराब नहीं होती। पाठशाला में कृषकों व पशुपालकों को उनके मवेशियों को हष्ट-पुष्ट रखने व दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए विशेष शिक्षा दी जा रही है। पिट में एजोला घास तैयार कर उसका प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
जैविक खेती के फायदे
– विषमुक्त भोजन की प्राप्ति
– रासायन मुक्त खेती
– पौष्टिक आहार
– बाजार से निर्भरता खत्म
– जीरो बजट की खेती
– बीमारियों से मुक्ति
– जमीन सुरक्षित रहेगी
– व्यापारियों के चक्कर से मुक्ति