scriptइस पाठशाला में किसान रिटायर्ड कर्मचारी से लेकर गजब का ज्ञान, बदल रहे देश की तस्वीर | Farmers learning ways of organic farming in katni | Patrika News

इस पाठशाला में किसान रिटायर्ड कर्मचारी से लेकर गजब का ज्ञान, बदल रहे देश की तस्वीर

locationकटनीPublished: Feb 05, 2019 11:53:56 am

Submitted by:

balmeek pandey

किसानों को दिया जा रहा जैविक खाद व कीटनाशक बनाने का प्रशिक्षण, जैविक पाठशाला में हो रही पहल

Farmers learning ways of organic farming in katni

Farmers learning ways of organic farming in katni

कटनी. खेती में बढ़ती लागत किसानों के लिए समस्या का सबब बनी हुई है। वहीं रासायनिक खाद के उपयोग से कम हो रही उर्वराशक्ति और उस उत्पादन से फैल रही बीमारी से भी किसान चिंतित हैं। ऐसे में वे अब नई पहल कर रहे हैं। जिले के सैकड़ों किसान अब जैविक कृषि की राह में आगे बढ़ चुके हैं और यह सब संभव हो पा रहा है जैविक कृषि पाठशाला नैगवां से। यहां पर जैविक कृषि एक्सपर्ट आरएस दुबे द्वारा किसानों जैविक खेती करने का गुर सिखाया जा रहा है। हर दिन यहां पर दर्जनों किसान प्रशिक्षित हो रहे हैं। हाल ही में कृषक सुबीर चतुर्वेदी ग्राम बजरंग नगर देवरी, श्याम पांडेय तेवरी, पीएस ठाकुर तेवरी ने जैविक कृषि पाठशाला नैगवां में प्रशिक्षण प्राप्त कर विभिन्न जैविक घटकों का निर्माण कर फसलों में उपयोग कर रहा हैं। केंचुआ खाद निर्माण, बेस्टडी कॉम्पोजर, गोबर कम्पोस्ट एवं कीट नियंत्रण के लिए पीला चिपचिपा कार्ड, गौ मूत्र, नीम पत्ती का प्रयोग फसलों में कर रहे हैं। सुबीर चतुर्वेदी जैविक खाद का उपयोग गेहूं, चना, जबा, इटालियन खीरा एवं धनिया तथा सब्जियों में कर रहे हैं। शहर मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित है प्रदेश की एकमात्र पहली जैविक कृषि पाठशाला नैगवां में जहां पर एक स्कूल की तरह कक्षाएं लगाकर किसानों को जीरो बजट और पौष्टिकता से भरपूर उपज तैयार करने के लिए किसानों को जैविक कृषि की जानकारी दी जा रही है। यहां से प्रशिक्षण प्राप्त कर इस तरकीब को अपनाकर अपना जीवन संवार रहे हैं और कृषि को लाभ का धंधा बनाने में जुटे हैं। खास बात यह है कि रिटायर्ड कर्मचारी रामसुख दुबे किसानों को जैविक कृषि का पाठ पढ़ा रहे हैं। किसान यहां से सीखकर उसे अपना रहे हैं। जैविक खेती कर देश की तस्वीर बदलने में योगदान दे रहे हैं।

प्रयोग कर दी जा रही जानकारी
जैविक कृषि पाठशाला नैगवां में जिला सहित अन्य जिलो के सान पहुंचकर जैविक खेती का तरीका सीख रहे हैं। पाठशाला में संचालक रामसुख दुबे द्वारा मंगलवार को यहां विशेष कक्षा का आयोजन किया जा रहा है। सोहन वंशकार आदि ने बताया कि इस पाठशाला से जीरो बजट की खेती की जानकारी दी जा रही है। कम से कम लगात में अधिक मुनाफे की खेती का जानकारी मिल रही है। इसके अलावा रासायनिक फसलों से मुक्ति और शुद्ध उपज मिल रही है। जैविक पाठशाला नैगवां में केंचुआ खाद, नाडेप टाका खाद, एजोला उत्पाद, मटका खाद, अमृत संजीवनी, जीवामृत आदि तैयार करने की विधि सिखाई जा रही है। धान में नींदा विधि के लिए उपयोग में आने वाला यंत्र कोनोवीडर, गेहूं सफाई के लिए स्पाइरल ग्रेडर, पैडी ड्रम सीडर-धान बोने वाले यंत्र की जानकारी, खरपतवार निकालने के लिए हैंडहो यंत्र, बीज उपचार ड्रम का प्रशिक्षण दिया जाता है।

बगैर लागत बेहतर कीटनाशक
यहां पर बगैर लागत के कीटनाशक को तैयार कराने की विधि बताई जा रही है। यहां पर गौ-मूत्र नीम की पत्ती से तैयार की जाने वाले पांच पत्ती काढ़ा (बेसरम, धतूरा, नीमपत्ती, आक और सीताफल) तैयार किया जा रहा है। यह फसलों में इल्ली, भुनगी, माहू सहित अन्य कीटों को मारता है। इससे फसलें कीट प्रकाप से खराब नहीं होती। पाठशाला में कृषकों व पशुपालकों को उनके मवेशियों को हष्ट-पुष्ट रखने व दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए विशेष शिक्षा दी जा रही है। पिट में एजोला घास तैयार कर उसका प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

जैविक खेती के फायदे
– विषमुक्त भोजन की प्राप्ति
– रासायन मुक्त खेती
– पौष्टिक आहार
– बाजार से निर्भरता खत्म
– जीरो बजट की खेती
– बीमारियों से मुक्ति
– जमीन सुरक्षित रहेगी
– व्यापारियों के चक्कर से मुक्ति

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो