खाद, यूरिया, सहकारी समिति, कमी, किसान
समितियों में किसानों को नहीं मिल रही खाद
कटनीPublished: Aug 29, 2018 12:39:34 pm
mukesh tiwari
समितियों में नहीं खाद, किसान परेशान, बारिश के साथ ही बढ़ी यूरिया की डिमांड, दो सप्ताह से नहीं उपलब्ध, महंगे दामों में खरीद रहे कृषक
Farmers not getting fertilizer in committees
कटनी. सावन में अच्छी बारिश के साथ ही जिले भर में यूरिया की डिमांड बढ़ गई है। ऐसे में जब किसानों को खाद की जरूरत है, तब सहकारी समितियों से उन्हें खाद की उपलब्धता ही नहीं हो पा रही है। कृषक जरूरत के चलते पिछले 15 दिन से व्यापारियों से मंहगे दामों में यूरिया खरीदने को मजबूर हैं। वही विभाग खाद का रैक न उपलब्ध हो पाने की बात कह रहा है। सावन माह में रिमझिम और तेज बारिश के बीच जिले भर में धान की फसल में यूरिया का छिड़काव करना जरूरी होता है। इसको लेकर किसानों में खाद की डिमांड अधिक है। जिले में इस साल मार्कफेड ने आठ हजार टन यूरिया का लक्ष्य निर्धारित किया था। जिसमें से अभी तक 65 सौ टन के लगभग यूरिया जिले को मिल चुकी है। पिछले 15 दिन से रैक न लगने के कारण स्थिति यह है कि गोदाम खाली पड़े हैं और समितियों से किसान वापस लौट रहे हैं। बहोरीबंद क्षेत्र की बाकल समिति सहित बरही, सिंहुड़ी, सलैया पटोरी, चांदनखेड़ा, इमलिया में दो सप्ताह से अधिक से कृषकों को यूरिया नहीं मिल गई है। समितियों द्वारा परमिट जारी करने के बाद भी खाद के कमी के कारण उपलब्धता नहीं हो पा रही है। समितियों में किसानों को 265 रुपये में खाद बोरी मिलती है। कृषकों का कहना है कि समितियों में उपलब्धता न होने से व्यापारियों से खरीदने पर उन्हें सौ से सवा सौ रुपये अधिक देने पड़ रहे हैं।
डीएपी से भरे गोदाम
एक ओर यूरिया की डिमांड अधिक होने से उसकी उपलब्धता नहीं है तो दूसरी ओर डीएपी गोदामों में भरी पड़ी है। कटनी सहित बहोरीबंद के गोदाम में डीएपी रखी है लेकिन जरूरत न होने से कृषक उसकी खरीदी नहीं कर रहे हैं। सोमवार को ही एक रैक डीएपी जिले में उतरी है और मंगलवार को फिर से एक रैक के आने की सूचना है।
राशि भी न मिलना बन रहा कारण
समितियों द्वारा परमिट काटकर मार्कफेड को भेजा जाता है और उसी के आधार पर उन्हें खाद की उपलब्धता होती है। समितियों द्वारा दिए गए परमिट से डाफ्ट बनाकर सहकारी बैंक जबलपुर को भेजा जाता है, जहां से भुगतान होता है। मार्कफेड के अधिकारियों के अनुसार जबलपुर से खाद का भुगतान अटका पड़ा है। जिले भर अभी तक सात करोड़ 80 लाख से अधिक की राशि समितियों से विभाग को लेना शेष है और इसके चलते भी समय पर रैक उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
इनका कहना है…
यूरिया की अचानक से कमी आई है। रैक की उपलब्धता नहीं हो पा रही है। दो हजार टन की डिमांड भेजी गई है और उम्मीद है कि एक सप्ताह के अंदर यूरिया का रैक जिले को उपलब्ध हो जाएगा।
वीडी तिवारी, जिला मार्कफेड अधिकारी
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समितियों में किसानों को नहीं मिल रही खाद