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इस प्रोजेक्ट से किसानों को होगी बम्पर आय, बदलेगी तकदीर

locationकटनीPublished: May 28, 2019 11:51:01 pm

समन्वित खेती पर दिया जा रहा जोर, खेती-किसानी में किसानों को किया जाएगा और सुदृढ़, कई गांव में लागू हो रहा पायलेट प्रोजेक्ट

Farmers will be bumper income from this project, change fate

Farmers will be bumper income from this project, change fate

कटनी। खेती को लाभ का धंधा बनाने नारा तो दिया गया है, लेकिन प्राकृतिक आपदा व सुविधाओं से जूझ रहे किसान खेती को घाटे का सौदा मानने लगे हैं। यही वजह है कि किसानों का मोह खेती से धीरे-धीरे भंग हो रहा है। एक बार फिर खेती पर जोर देने पहल की जा रही है। जिले में समन्वित खेती का पायलट प्रोजेक्ट लागू किया गया है। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से किसानों की तकदीर बदलने की कार्ययोजना बनी है। ये किसान मिसाल बनेंगे और फिर उसे सभी किसानों में लागू किया जाएगा। समन्वित कृषि के माध्यम से किसानों की हालत में सुधार लाने व उनकी आय को बढ़ाने काम होगा। अब किसानों को सिर्फ कृषि या उद्यानिकी ही नहीं बल्कि कई विभागों के अधिकारी-कर्मचारी मिलकर प्रोत्साहित करेंगे। योजनाओं सहित खेती के तरीके व उससे आय जुटाने के लिए मदद करेंगे। समन्वित खेती में कृषि, उद्यानिकी, मत्स्य, पशुपालन, वन विभाग, उद्योग विभाग, ग्रामीण अजीविका मिशन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी मिलकर किसानों के हाथों की ताकत बनेंगे। जिलेभर में इस तरह के फार्म मौसम सम्बन्धी विषमताओं जैसे बाढ़, सूखा और अन्य प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से भी काफी कमजोर होते हैं और बड़े आकार के फार्मों के मुकाबले इन छोटे फार्मों में काम करना ज्यादा जोखिम भरा है। किसानों की इन श्रेणियों की स्थिति में सुधार के लिये यह जरूरी है कि उनकी आमदनी बढ़ाई जाये और इस तरह के भूमिहीन, सीमान्त और छोटे किसान परिवारों के लिये रोजगार के अवसरों में भी बढ़ोत्तरी हो। पशुपालन, बागवानी, सब्जी, फल, औषधीय, मधुमक्खी पालन, मशरूम उत्पाद, मछली पालन जैसे कार्य किए जाएंगे।

खास-खास
– क्लास १ और क्लास २ अधिकारी करेंगे किसानों को प्रेरित, आरइओ को १५ व वर्ग दो के अधिकारी को २-२ गांवों में करनी है पहल।
– 5 एकड़ से कम भूमि के किसानों को लक्ष्य मानकर एकीकृत कृषि प्रणाली को अपनाने किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा।
– 1 हेक्टेयर तक की जमीन वाले किसानों को पारम्परिक खेती के साथ सिंचाई के पोण्ड्स बनाने व उसमें मछलीपालन सहित गतिविधियों के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा।

समन्वित कृषि के ये हैं घटक
– मिट्टी की जीवंतता को बनाए रखना।
– मिट्टी को उपजाऊ बनाना।
– तापमान का प्रबंधन।
– मिट्टी व वर्षाजल का संरक्षण।
– सौर ऊर्जा का उपयोग।
– कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाना।
– जैव रूपों का संरक्षण करना।
– मवेशियों के साथ तालमेल।

जिले में समन्वित कृषि प्रणाली लागू हो रही है। अभी ब्लॉक के किसान चिन्हित किए गए हैं। समग्र और अभिनव दृष्टिकोण से किसानों, खासतौर पर छोटे काश्तकारों को अपने घर और बाजार के लिये कई तरह की वस्तुओं के उत्पादन का पर्याप्त अवसर तो प्राप्त होगा ही साथ ही कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाने, परिवार के लिये सन्तुलित पौष्टिक आहार जुटाने, पूरे साल आमदनी व रोजगार का इन्तजाम करने तथा मौसम और बाजार सम्बन्धी जोखिम कम करने में भी मदद मिलेगी। इससे खेती में काम आने वाली वस्तुओं के लिए किसानों की बाजार पर निर्भरता भी कम होगी।
एके राठौर, उपसंचालक कृषि

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