scriptसावधान! कहीं आप भी तो नहीं पी रहे इस फ्लेवर का शीतल पेय पदार्थ और इस कलर की खा रहे खाद्य सामग्री… | Fatal color and flavors sold in katni district | Patrika News

सावधान! कहीं आप भी तो नहीं पी रहे इस फ्लेवर का शीतल पेय पदार्थ और इस कलर की खा रहे खाद्य सामग्री…

locationकटनीPublished: Apr 08, 2019 11:44:17 am

Submitted by:

balmeek pandey

शीतल पेय पदार्थ और खाद्य सामग्री में कलरिंग से बढ़ रहा खतरा

drink

most powerful cold drink in heat summer 2019

कटनी. गर्मी का सीजन हो या फिर आम दिन…। हर समय लोग शीतल पेय पदार्थ को गटककर बड़ी राहत महसूस करते हैं। उन्हें कुछ समय के लिए गर्मी और बेचैनी से राहत तो मिलती है, लेकिन शायद वे यह नहीं जानते की वे बीमारी मोल ले रहे हैं। खासकर ऐसे शीतल पेय पदार्थ जो हकीकत में सिर्फ फ्लेवर होते हैं। बाजार में इन दिनों कोल्डड्रिंक्स हो या फिर पाउडर तहर-तरह की सामग्रियां मैंगो, लीची, एप्पल, लेमन सहित कई बैराटियों के मिल रहे हैं। खाद्य सुरक्षा प्रशासन अधिकारियों की मानें तो बाजार में मिलने वाले कई फ्लेवर मानव जीवन के लिए घातक हैं। फूड इंस्पेक्टर डीके दुबे व अशोक कुर्मी के अनुसार बाजार में खाद्य सामग्री बेचने वाले लोग घातक कलर का उपयोग कर रहे हैं। चाट और फुल्की के मटर में कलर, जलेबी और लड्डू में कलर, समोसा सहित अन्य सामग्री में कलर मिलाते हैं। बाजार में इन दिनों गाय छाप कलर का उपयोग ज्यादा हो रहा है जो कई बार जांच में सामने आया है, इससे लोगों को बचना है। यदि खाद्य सामग्री में कलर का उपयोग करते भी हैं तो वह फूड वाला कलर होना चाहिए। इससे घातक बीमारियों का संक्रमण बढ़ जाता है।

फुल्की पानी में एसिड का उपयोग
शहर में फुल्की विक्रेताओं द्वारा जीरा-पानी को स्वादिष्ट बनाने के लिए हाइड्रोक्लोरिक एसिड और टाटरिक एसिड का उपयोग की शिकायतें मिल रही हैं। इस पर खाद्य सुरक्षा विभाग ने सेंम्पल भी शहर के तीन प्रतिष्ठानों से लिए थे। केशरवानी चाट भंडार चौपाटी, महेंद्र चाट चौपाटी, श्रद्धा चाट सिल्वर टॉकीज रोड में लिए थे। हालांकि जांच में सेम्पल सहीं पाए गए हैं, लेकिन अभी भी बाजार में फुल्की पानी में मिलावट का खेल चल रहा है।

इनका कहना है
शहर में शीतल पेय पदार्थ के कई फ्लेवर बिक रहे हैं। इससे उपभोक्ताओं को सावधान रहना चाहिए। इसके अलावा लड्डू, जलेबी, समोसा सहित अन्य खाद्य सामग्री में जो कलर वाले बिकते हैं उससे बचें क्योंकि वह मानव जीवन के लिए घातक है। पूर्व में कई के खिलाफ कार्रवाई हुई है। इससे लीवर कैंसर का खतरा अधिक है।
संजय गुप्ता, खाद्य सुरक्षा अधिकारी।

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