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ये है देश का महत्वपूर्ण जंक्शन, जहां घटनाएं ऐसी की हलक में आ जाती है यात्रियों की जान

locationकटनीPublished: May 28, 2018 09:10:23 pm

Submitted by:

shivpratap singh

रेल हादसे टले पर खतरा बरकरार, लगातार घटनाओं के बाद भी नहीं चेते अफसर, अब तक हुई जांच के नामपर भी की गई खानापूर्ति

fear of accidents in katni railway station

fear of accidents in katni railway station

कटनी. ट्रेन से सफर करना सबसे सुरक्षित सफर माना जाता रहा है। धूप बारिश से जहां लोगों का बचाव होता है वहीं लोग सुरक्षित गंतव्य तक पहुंचने की कामना कर सफर भी करते हैं, लेकिन वर्तमान हालात यह है कि जरा सी चूक रेल हादसों का सबब बन रही है। आएदिन हो रहे हादसों से जहां सुरक्षित सफर की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं वहीं अफसरों की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में है। जंक्शन से होकर गुजरने वाली ट्रेनों के भी यही हाल हैं। लगातार गंभीर हादसे तो टल रहे हैं, लेकिन खतरा टलने का नाम ही नहीं ले रहा है।

पुराने कॉसन आर्डर पर ट्रेन दौड़ जाती है तो कभी ट्रेन चलते ही बोगी में फाल्ट होने की जानकारी सामने आती है। रेलसेवा का यह हाल कटनी जिले का है। अफसरों की अनदेखी और कर्मचारियों की लापरवाही से हजारों लोगों की जान पर बन आती है और जोन में बैठे अफसर कागजी जांच तक ही सीमित हैं। गत माह ट्रैक मेंटनेंस के आभाव में कटनी-चौपन पैसेंजर हादसे का शिकार हो गई। घटना के एक माह बाद भी अफसर लापरवाहों को तलाश नहीं पाए। आलम यह है कि अफसर यह तक तय नहीं कर सके कि हादसे की ठोस वजह क्या थी। यही हाल अन्य मामलों में है।
टे्रन निकालने के लिए मचती है होड़
हादसे की एक वजह रेलवे द्वारा ट्रेन टाइमिंग पंचुअल्टी मेंनटेन करना भी सामने आ रहा है। ट्रेन के आउटर पर पहुंचते ही उसे स्टेशन पर लाने और छोडऩे की होड़ मच जाती है। इसी होड़ में नर्मदा एक्सप्रेस भी गंभीर हादसे का शिकार होने से बच गई।
ट्वीटर पर दौड़ रही सुरक्षा
सुरक्षा और संरक्षा विभाग की बड़ी चूक भी लगातार सामने आ रही है। ट्रेन हादसे की जानकारी ट्वीटर और सोशल मीडिया से रेल अफसरों तक पहुंच रही है। बीते माह पवन एक्सप्रेस व जबलपुर-रीवा शटल की बोगियों में धुआं निकलने और यात्रियों में हड़कंप मचने के मामलों में भी यही सामने आया।
४० दिन में तीन हादसे टले, १ ट्रेन हुई बेपटरी
२३ मई को नर्मदा एक्सप्रेस कटनी साउथ से छूटकर रेड सिग्नल पार करते हुए न्यू कटनी जंक्शन (एनकेजे) पहुंच गई। ट्रेन के एनकेजे पहुंचने के बाद पता चला कि ड्राइवर ने रेड सिग्नल पार की है। लापरवाही की प्रारंभिक जांच में सामने आया कि एनकेजे ‘एÓ केबिन के स्टेशन मास्टर रावत द्वारा पहले ग्रीन सिग्नल दिया गया। ग्रीन सिग्नल से ट्रेन छूटने के बाद ड्राइवर को सूचना दिए बिना ही अचानक रेड कर दिया गया।
१७ मई मुख्य रेलवे स्टेशन से चलने के लिए तैयार हुई कटनी-बीना पैसेंजर की बोगी में अचानक फाल्ट आ गया। आनन-फानन में अफसरों ने यात्रियों से भरी बोगी खाली करवाई और सुधारकार्य करने के बाद बोगी को ट्रेन से जोड़ा गया। डेढ़ करीब डेढ़ घंटे देरी से कटनी रेलवे स्टेशन से रवाना की गई। इसके चलते यात्रियों में हड़कंप मच गई। बोगियों की जांच में लेटलतीफी होना सामने आया।
– २८ अप्रैल की रात पटवारा से झुकेही स्टेशन के बीच तेज रफ्तार से चली आ रही महाकौशल एक्सप्रेस के इंजन से बास-बल्लियों की एक मचान टकरा गई। घटना में इंजन में मौजूद सहायक लोका पायलट को चोटें आई हैं। सामने आया कि ट्रैक किनारे पावर ग्रिड कंपनी लापरवाही पूर्वक बांस-बल्ल्यिों से मचान बनाया गया था। जो आंधी और बारिश के चलते टूटकर गिर गया।
– १४ अप्रैल की रात करीब १० बजे कटनी से चोपन के बीच चलने वाली पैंसेंजर गाड़ी क्रमांक ५१६७५ के रेलखंड के सलेहना व पिपरियाकला स्टेशन के बीच चार डिब्बे पटरी से उतर गए। दुर्घटना में आधा दर्जन से अधिक लोगों को चोट आई हैं। हादसे की मुख्य वजह रेलवे अफसरों की लापरवाही व रेलवे ट्रैक का पहले से ही क्षतिग्रस्त होना सामने आया है। जिस स्थान पर पटरी टूटने की वजह से ड्रेलमेंट हुआ वह ट्रैक पहले से ही फैक्चर था। फैक्चर ट्रैक से ही कई दिनों से ट्रेन गुजर रही थीं।
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