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भृत्य के भरोसे चौकीदारी, सुरक्षा के नहीं पर्याप्त इंतजाम

locationकटनीPublished: Mar 04, 2019 10:07:25 pm

Submitted by:

dharmendra pandey

जबलपुर की घटना के बाद भी सहकारी बैकों में सुरक्षा को लेकर नहीं दिया जा रहा ध्यान
 

Fearful of security, not enough security

Fearful of security, not enough security

कटनी. जबलपुर की तरह जिले के सहकारी बैंकों में रखे रुपये व दस्तावेज सुरक्षित नहीं हैं। यहां भी अज्ञात चोर चोरी की वारदात को अंजाम दे सकते है। सहकारी बैंकों में सुरक्षा के लिए सुरक्षाकर्मी नही है। भृत्य के भरोसे रात में बैंकों की सुरक्षा व्यवस्था रहती है। जिले में बैंकों को खुले हुए 50 साल से अधिक का समय हो गया है, लेकिन सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर जिम्मेदारों ने कोई ध्यान नही दिया। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं होने से रात में चोरी की वारदात होने का अंदेशा बना रहता है। जिला सहकारी बैंक के अधिकारियों के मुताबिक लगभग 15 साल पहले सुरक्षा के लिए रात में चौकीदार रखे गए थे। कई साल तक चौकीदारों ने काम भी किया। इसके बाद अचानक से यह व्यवस्था बंद कर दी गई। उनकी जगह पर बैंक की सुरक्षा व्यवस्था भृत्यों के हवाले कर दी गई।

जिले में संचालित हैं नौ शाखाएं
जिला सहकारी बैंक की जिलेभर में 9 शाखाएं है। जिनमें विजयराघवगढ़, बड़वारा, ढीमरखेड़ा, बहोरीबंद, रीठी व कटनी ब्लॉक शामिल हैं। इन सभी शाखाओं में सुरक्षा के लिए सिक्योटिरी गार्ड नहीं हैं और पदस्थ भृत्यों में से ही किसी एक को रात की चौकीदारी का काम सौंप दिया जाता है। इतना ही नहीं कुछ बैंकों में तो नियमित रूप से भृत्यों की भी पदस्थापना नहीं है और ऐसे में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी सुुरक्षा की कमान संभाल रहे हैं।

इनका कहना है:
जिलेभर में जिला सहकारी बैंक की 9 शाखाएं है। सुरक्षा के लिए बैंक में सीसीटीवी कैमरे व भृत्य रात में रुकते है। यह जरूर है कि सिक्योरिटी गार्ड नहीं है। नियमित रूप से सिक्योरिटी गार्ड रखने के लिए विभाग से पत्राचार किया जाएगा।
अरविंद पाठक, नोडल अधिकारी, जिला सहकारी बैंक।
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इधर, एटीएम के भी यही है हाल:

सहकारी बैंकों की तरह एटीएम के भी यहीं हॉल है। जिलेभर में विभिन्न बैंकों के 100 से अधिक एटीएम खुले हुए है, लेकिन अधिकांश में गार्ड नही है। गार्ड नही होने की वजह से एटीएम में कई बार चोरी की वारदात भी हो चुकी है। उसके बाद भी व्यवस्था को लेकर न तो बैंक प्रबंधन द्वारा ध्यान दिया जा रहा है, न ही संचालन करने वाली संस्थाओं द्वारा। गाइड लाइन के अनुसार जिस एटीएम में गार्ड नहीं है। वहां पर सेंसर और ई-सर्विलांस सिस्टम लगाना अनिवार्य है। जिलेभर के अधिकांश एटीएम में यह सुविधा नहीं है। इस कारण चोर एटीएम को निशाना बनाते है। बाद में बैंक प्रबंधक थाने में मामला दर्ज कराकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हंै। पिछले छह माह में तीन घटनाएं एटीएम में चोरी के प्रयास की हो चुकी हैं।
क्या है सेंसर और ई-सर्विलांस
एटीएम में सेंसर व ई-सर्विलांस लगा होने के बाद यदि कोई व्यक्ति छेड़छाड़ करता है तो पहले उसे चेतावनी दी जाती है। इसके बाद भी वह नही मानता तो तत्काल प्रभाव से बैंक के कंट्रोल रूम के पास सूचना चली जाती है। कंट्रोल रूम से पुलिस थाने को सूचना दी जाती है। ई-सर्विलांस के तहत तीन स्तरीय सिक्योरिटी सिस्टम होता है। अगर कोई एटीएम मशीन पर हाथ पटकता है या पैर मारता है तो तेज से बीप की आवाज आती है। तुरंत कंट्रोल रूम को मैसेज चला जाता है। अगर एटीएम से कोई छेड़छाड़ हुई तो स्पीकर से तेज आवाज आती है।
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