जिले में संचालित हैं नौ शाखाएं
जिला सहकारी बैंक की जिलेभर में 9 शाखाएं है। जिनमें विजयराघवगढ़, बड़वारा, ढीमरखेड़ा, बहोरीबंद, रीठी व कटनी ब्लॉक शामिल हैं। इन सभी शाखाओं में सुरक्षा के लिए सिक्योटिरी गार्ड नहीं हैं और पदस्थ भृत्यों में से ही किसी एक को रात की चौकीदारी का काम सौंप दिया जाता है। इतना ही नहीं कुछ बैंकों में तो नियमित रूप से भृत्यों की भी पदस्थापना नहीं है और ऐसे में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी सुुरक्षा की कमान संभाल रहे हैं।
इनका कहना है:
जिलेभर में जिला सहकारी बैंक की 9 शाखाएं है। सुरक्षा के लिए बैंक में सीसीटीवी कैमरे व भृत्य रात में रुकते है। यह जरूर है कि सिक्योरिटी गार्ड नहीं है। नियमित रूप से सिक्योरिटी गार्ड रखने के लिए विभाग से पत्राचार किया जाएगा।
अरविंद पाठक, नोडल अधिकारी, जिला सहकारी बैंक।
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सहकारी बैंकों की तरह एटीएम के भी यहीं हॉल है। जिलेभर में विभिन्न बैंकों के 100 से अधिक एटीएम खुले हुए है, लेकिन अधिकांश में गार्ड नही है। गार्ड नही होने की वजह से एटीएम में कई बार चोरी की वारदात भी हो चुकी है। उसके बाद भी व्यवस्था को लेकर न तो बैंक प्रबंधन द्वारा ध्यान दिया जा रहा है, न ही संचालन करने वाली संस्थाओं द्वारा। गाइड लाइन के अनुसार जिस एटीएम में गार्ड नहीं है। वहां पर सेंसर और ई-सर्विलांस सिस्टम लगाना अनिवार्य है। जिलेभर के अधिकांश एटीएम में यह सुविधा नहीं है। इस कारण चोर एटीएम को निशाना बनाते है। बाद में बैंक प्रबंधक थाने में मामला दर्ज कराकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हंै। पिछले छह माह में तीन घटनाएं एटीएम में चोरी के प्रयास की हो चुकी हैं।
क्या है सेंसर और ई-सर्विलांस
एटीएम में सेंसर व ई-सर्विलांस लगा होने के बाद यदि कोई व्यक्ति छेड़छाड़ करता है तो पहले उसे चेतावनी दी जाती है। इसके बाद भी वह नही मानता तो तत्काल प्रभाव से बैंक के कंट्रोल रूम के पास सूचना चली जाती है। कंट्रोल रूम से पुलिस थाने को सूचना दी जाती है। ई-सर्विलांस के तहत तीन स्तरीय सिक्योरिटी सिस्टम होता है। अगर कोई एटीएम मशीन पर हाथ पटकता है या पैर मारता है तो तेज से बीप की आवाज आती है। तुरंत कंट्रोल रूम को मैसेज चला जाता है। अगर एटीएम से कोई छेड़छाड़ हुई तो स्पीकर से तेज आवाज आती है।
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