देशभर में बिलहरी पान के नाम से मशहूर जिले का पान विलुप्त होने की कगार पर है। सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलने से पान किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिले में पान किसानों के हालात यदि ऐसे ही रहे तो आने वाले कुछ साल में बिलहरी पान का स्वाद भी खत्म हो जाएगा। बता दें कि जिले में ढीमरखेड़ा ब्लॉक के उमरियापान व रीठी ब्लॉक के बिलहरी गांव में बड़ी संख्या में पान के किसान हैं। पिछले कई साल से पान की खेती कर रहे है। जिले में पैदा हुआ यह पान प्रदेश के रीवा, दमोह, सागर सहित उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में पान की सबसे बड़ी मंडी कहे जाने वाले लखनऊ में सप्लाई होती है। 25 से 180 रुपये सैकड़ा के हिसाब से इसकी बिक्री होती है।
एक एकड़ में आता है 4.50 लाख रुपये का खर्च
पान की खेती करने वाले किसानों के अनुसार एक एकड़ में पान की खेती करने पर लगभग 4.50 से 5 लाख रुपये का खर्च आता है। उसमें 80 से 100 पारी का निर्माण होता है। ऐसे में यदि तेज हवा व अधिक ठंड जैसी कोई प्राकृतिक आपदा आती है, तो उससे पान बरेजे नष्ट हो जाते है। इससे पान की खेती करने वाले किसानों को काफी नुकसान होता है। दोबारा पान बरेजे लगाना किसानों के लिए काफी मुश्किल रहता है। शासन की तरफ से कोई सहायता नहीं मिलने के कारण पान की खेती बंद कर कई किसान काम धंधे की तलाश में दूसरे शहरों में जाकर परिवार का पेट पाल रहे है।
साल 2008-09 में बस मिला था लाभ
जिले में 50 साल से अधिक समय से पान की खेती कर रहे किसानों को साल 2008-09 में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत लगभग 60 किसानों को लाभ मिला है। सालभर के बाद यह योजना जिले में बंद हो गई। इसके बाद से अब तक किसानों को सरकार की किसी योजना का लाभ नहीं मिला है।
स्वाद के साथ पान स्वास्थ्य के लिए भी है लाभदायक
पान में कई औषधीय गुण भी पाए जाते है। यह स्वाद के साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है। औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण पौराणिक काल से ही इसका उपयोग किया जा रहा है। पान गले की खरास एवं खिचखिच को मिटाता है। मुंह की दुर्गन्ध को दूर कर पाचन शक्ति को बढ़ाता है। पान की ताजी पत्तियों का लेप बनाकर कटे-फटे व घाव में लगाने से यह सडऩे से रोकता है। अजीर्ण एवं अरूचि के लिए हर दिन खाने के पूर्व पान व काली मिर्च के साथ सेवन करने से सूखे कफ को निकालने में मदत करता है।
तत्व न्यूनतम अधिकतम
फास्फोरस ०.१३ ०.६१त्न
पोटैशियम १.८ ३६त्न
कैल्शियम ०.५८ १.३त्न
मैग्नीशियम ०.५० ०.७५
कॉपर २०-२७ पीपीएम
जिंक ३०.३५पीपीएम
शर्करा ०.३१-४०ग्राम।
कीनौलिक यौगिक ६.२-२५.३ ग्राम तक। इनका कहना है
जिले में पान की खेती करने वाले किसानों को सरकार की किसी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। शासन द्वारा साल २००८-०९ में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना चलाई गई थी। जिसके माध्यम से कुछ किसानों को लाभ मिला था। इसके बाद यह योजना जिले में बंद हो गई है। जिले में पान की खेती करने वाले किसानों को लाभ दिलाने फिलहाल सरकार ने कोई योजना बनाई भी नहीं है।
एम भारद्वाज, वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी।
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पान बरेजों को शासन की किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। जिसके चलते जिले में पान उत्पादन का रकवा पिछले कई साल से लगातार घट रहा है। मदत नहीं मिलने के कारण पान की खेती छोड़कर किसान दूसरे धंधों में हाथ अजमा रहे है। एक बार प्राकृतिक आपदा से यदि फसल नष्ट हो जाती है तो दोबारा लगाना बहुत मुश्किल रहता है।
कमलेश चौरसिया, पान किसान।
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आयुर्वेद ग्रंथ में पान का बड़ा महत्व है। पान की जड़ का सेवन करने से आवाज कोमल व मधुर होती है। यह अनेक रोगों का नाश करता है। आयुर्वेद में अनेक औषधियों को पान के रस के साथ सेवन करने को कहा जाता है। गले व कंठ के रोगों में यह फायदा पहुंचाता है।
पान अरूचि को भी दूर करने में मुख्य औषधीय पौधा है।
डॉ. भरतेष जैन, आयुर्वेद विशेषज्ञ।