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बाणसागर जलाशय में मछुआरों के साथ ऐसा भी हो रहा…

locationकटनीPublished: Feb 18, 2019 11:05:02 am

Submitted by:

balmeek pandey

बाणसागर जलाशय में ठेकेदार की तानाशाही से स्थानीय मछुआरे हुये बेरोजगार, नियम विरुद्ध ठेकेदार के कर्मचारी मरवाते हैं मछली, प्रतिदिन शासन को लाखो के राजस्व का लगा रहे चूना

A look of water drainage from 18 gates of Bansagar Dame, shown after one year

A look of water drainage from 18 gates of Bansagar Dame, shown after one year

कटनी/बरही. कटनी जिले के अंतर्गत आने वाले बाणसागर बांध परियोजना के क्षेत्र में ठेकेदार द्वारा अवैध तरीके से अपने मछुआरों को लाकर मछली का शिकार कराया जा रहा है। इसकी वजह से स्थानीय मछुआरों को काम नहीं मिल रहा है और बेरोजगारी के चलते मछुआरों का परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। इसमें बाणसागर मत्स्याखेट महासंघ व स्थानीय समीतियों द्वारा ठेकेदार के साथ सांठगांठ कर न सिर्फ कमीशनखोरी की जा रही है बल्कि स्थानीय मजदूरों का अधिकार छीनकर उन्हें भूखों मरने के लिये छोड़ दिया गया है। इसके चलते जिले के मछुआरों का परिवार चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा है। वहीं इस पूरे मामले की निगरानी करने वाला मत्स्य महासंघ आंखों में पट्टी बांधकर बैठा हुआ है। मप्र मत्स्य महासंघ मर्यादित भोपाल द्वारा करीब 2 साल पूर्व हुये ठेके में कटनी जिले के डोली से लेकर विजयराघवगढ़ जनपद पंचायत के पिपरा और चपना गांव तक लगभग 30 से 35 किलोमीटर के दायरे में मछली शिकार करने का ठेका बीटी फिशनरीज कंपनी को दिया गया है। इसमें अप्रैल 2021 तक इसी ठेका कंपनी द्वारा मत्स्याखेट किया जाएगा। ठेकेदार द्वारा बाहर से जिन मछुआरों को जिले में लाकर कार्य लिया जा रहा है, उनमें से किसी का भी पुलिस वेरीफिकेशन नहीं कराया गया है।

ये हैं ठेके की शर्तें
बाणसागर बांध परियोजना के अतंर्गत जिले के डोली गांव से लेकर चपना गांव तक मछली का शिकार करने का ठेका बीटी फिशनरीज को दिया गया है। जानकारी अनुसार ठेकेदार व मप्र मत्स्य महासंघ मर्यादित भोपाल के बीच हुए अनुबंध के अनुसार ठेकेदार द्वारा बाणसागर बांध परियोजना से डूब प्रभावित, विस्थापित ग्रामों के मछुआरों व ग्रामीणों को ही मछली शिकार के लिए काम पर रखा जाना है। किसी भी स्थिति में जिला व संभाग से बाहर के मछुआरों को काम पर नहीं रखा जा सकता। यदि स्थानीय मछुआरें काम नहीं करते और ठेकेदार को कोई नुकसान होता है तो ठेकेदार को किसी प्रकार की छूट व हर्जाना का भुगतान नहीं किया जाएगा।

समिति की भूमिका संदिग्ध
मछली शिकार के लिए जो नियम बनाए गए हैं, उसके अनुसार बाणसागर परियोजना के मत्स्य महासंघ द्वारा समितियों का गठन किया गया है। इन समितियों का काम है कि स्थानीय मछुआरों का चयन कर ठेकेदार के लिये मछली का शिकार करायें। स्थानीय मछुआरे जो मछली पकड़ते हैं वो ठेकेदार को सौंप दी जाती हैं। राज्य शासन की नई दर के अनुसार छोटी मछलियों के शिकार पर 18 रुपया प्रति किलो के हिसाब से मिलता हैं और एक किलो बड़ी मछली के शिकार पर 30 रुपये मिलता है। जलाशयों से पिछले वर्ष का प्राप्त आंका में वर्ष 2017-18 में मध्यप्रदेश राज्य के मत्स्य महासंघ के जलाशयों से 7332.93 टन मत्स्य उत्पादन हुआ जो राष्ट्रीय उत्पादकता के हिसाब से 36 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उत्पादन हुआ। वर्तमान में बाणसागर जलाशय में इस वर्ष लगभग 17 हजार टन मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। 4 जिलों को मिलाकर करीब 40 समितियों के 1200 सौ मछुआरों से मछलियों का आखेट किया जाता है

आर्थिक तंगी के शिकार
दूसरे राज्यों के मछुआरों से मछली के शिकार का ठेका लेने वाले ठेकेदार द्वारा अनुबंध शर्तों को ताक पर रख बाहर के मजदूर मछुआरों को लाया गया है। इनके जरिये मछली का शिकार कराया जा रहा है। जबकि कटनी जिले में 51 मछली समितियां है जिसमें करीब 1 हजार स्थानीय मछुआरे रोजगार न होने पर घर में खाली बैठे हैं। इसकी वजह से उनका परिवार आर्थिंक तंगी से जूझ रहा है। वहीं बाहर से लाये गए मछुआरे बांध के किनारे कैम्प लगाकर दिनरात मछली का शिकार कर रहे हैं। इन्हें रोकने-टोकने वाला कोई नहीं है। स्थानीय मछुआरे सुबह 10 से शाम 5 बजे तक ही काम करते हैं जिससे दिनभर में 1-दो क्विंटल मछली ही मिल पाती है। वहीं बाहर के मछुआरे सुबह 5 बजे से रात 12 बजे तक काम करते हैं जिससे ठेकेदार को अधिक मुनाफा होता है। इसलिये बाहर के मछुआरों से काम लिया जा रहा है।

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