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निजी को कौन कहे, सरकारी अस्पतालों में भी मची है लूट

– अस्पताल से निःशुल्क मिलने वाली दवा की जगह बाजार से लेनी पड़ रही है दवा-जिला अस्पताल का भी बुरा हाल, मिलती है सिर्फ पैरासिटामाल व आयरन की गोली

कटनीSep 03, 2020 / 03:37 pm

Ajay Chaturvedi

अस्पताल की पर्ची दिखाती महिला रोगी (प्रतीकात्मक फोटो)

कटनी. मध्य प्रदेश के अस्पतालों का बुरा हाल है। निजी अस्पताल तो मरीजों का मनमाने तरीक से आर्थिक शोषण कर ही रहे हैं, सरकारी अस्पताल भी कमोबेश उसी राह पर हैं। इन सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को निःशुल्क मिलने वाली दवाएं नहीं दी जा रहीं। इसके बदले चिकित्सक बाजार की महंगी दवाएं एक पर्ची पर लिख कर देते हैं। तर्क ये होता है कि ये बढिया दवा है, इससे जल्दी ठीक हो जाएंगे। मजबूरी में मरीज और तीमारदार बाहर से दवा लेने को विवश हैं।
मरीजों की मानें तो जिला अस्पताल तक में महज पैरासिटामाल व आयरन की गोली ही मिलती है। इसके अलावा हर दवा बाहर से खरीदनी पड़ती है। यही नहीं एक तरफ जहां शासन-प्रशासन स्वास्थ्य केंद्रों में ज्यादा से ज्यादा प्रसव कराने पर जोर देता है लेकिन आशा बहुएं इसमें भी खेल कर प्रसूताओं को नर्सिंगहोम भेज रही हैं। आम लोगों का आरोप है कि कमीशन के लिए चिकित्सक से लेकर आशा बहुएं तक मरीजों का शोषण करने में जुटे हैं।
सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को मुफ्त दवा उपलब्ध कराने, बाहर की दवा न लिखने और स्वास्थ्य केंद्र में संस्थागत प्रसव के बाबत कलेक्टर कई बार निर्देश जारी कर चुके हैं। लेकिन कलेक्टर का आदेश भी ताख पर रख कर सारा खेल जारी है। जिला अस्पताल में ही प्रसव के लिए भर्ती एक मरीज की तीमारदार का कहना है कि डॉक्टर ने जो दवा लिखी है वह अस्पताल में उपलब्ध नहीं है। ऐसे में उसे बाहर से खरीद कर लाना पड़ रहा है।
कोट

“लगभग सभी दवाएं अस्पताल में उपलब्ध हैं। अगर कहीं ऐसी शिकायत है तो उसकी जांच करा कर कार्रवाई की जाएगी। “- डॉ. यशवंत वर्मा, सिविल सर्जन

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