मरीजों की मानें तो जिला अस्पताल तक में महज पैरासिटामाल व आयरन की गोली ही मिलती है। इसके अलावा हर दवा बाहर से खरीदनी पड़ती है। यही नहीं एक तरफ जहां शासन-प्रशासन स्वास्थ्य केंद्रों में ज्यादा से ज्यादा प्रसव कराने पर जोर देता है लेकिन आशा बहुएं इसमें भी खेल कर प्रसूताओं को नर्सिंगहोम भेज रही हैं। आम लोगों का आरोप है कि कमीशन के लिए चिकित्सक से लेकर आशा बहुएं तक मरीजों का शोषण करने में जुटे हैं।
सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को मुफ्त दवा उपलब्ध कराने, बाहर की दवा न लिखने और स्वास्थ्य केंद्र में संस्थागत प्रसव के बाबत कलेक्टर कई बार निर्देश जारी कर चुके हैं। लेकिन कलेक्टर का आदेश भी ताख पर रख कर सारा खेल जारी है। जिला अस्पताल में ही प्रसव के लिए भर्ती एक मरीज की तीमारदार का कहना है कि डॉक्टर ने जो दवा लिखी है वह अस्पताल में उपलब्ध नहीं है। ऐसे में उसे बाहर से खरीद कर लाना पड़ रहा है।
कोट “लगभग सभी दवाएं अस्पताल में उपलब्ध हैं। अगर कहीं ऐसी शिकायत है तो उसकी जांच करा कर कार्रवाई की जाएगी। “- डॉ. यशवंत वर्मा, सिविल सर्जन