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महिला विदुषी ने कहा व्यक्ति का मूल्यांकन तय करती है उसकी संस्कार निधि

locationकटनीPublished: Apr 02, 2019 11:25:20 am

Submitted by:

balmeek pandey

गीता ज्ञान यज्ञ में बह रही आध्यात्म सरोवर की पुण्य धारा

Geeta gyan Yagna and Bhagwat organized in katni

Geeta gyan Yagna and Bhagwat organized in katni

कटनी. गीता का मुख्य विषय परमात्म स्वरूप का ज्ञान सरोवर है। जब तक मनुष्य को परमात्म के ज्ञान तत्व का बोध न हो, तब तक मन: स्थिति को सुदृढ़ नहीं बनाया जा सकता है। क्योंकि प्रत्येक ब्यक्ति के भीतर ही वह सरोवर मौजूद है, जिसके पवित्र जल से उसकी प्यास बुझ सकती है, लेकिन वह दूसरों के अंदर यह सरोवर तलाशता है। जबकि हमारे अन्त:करण में ही आनंद का सरोवर मौजूद है। उक्त आशय के सुविचार सिविल लाईन स्थित प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, राजयोग केंद्र के संयोजन में सप्तदिवसीय गीत ज्ञान यज्ञ के अवसर पर व्रवचन कर्ता, ज्ञान विदुषी राजयोगनी बीके भारती ने व्यास पीठ की आसन्दी से व्यक्त किए। गीता ज्ञान यज्ञ समारोह का शुभारंभ विशाल मंच पर दीप प्रज्ज्वलन से किया गया। राजयोग संचालिका बीके लक्ष्मी, आल इंडिया एडवोकेट फोरम के चैयरमैन एडवोकेट रमाकान्त निगम, किशनलाल टहलरमानी, पार्षद प्रीति सूरी की उपस्थिति में आयोजन का शुभारंभ हुआ।

इनकी रही उपस्थिति
गीता ज्ञान यज्ञ में सालिगराम शर्मा, रामदेवी शर्मा, राजयोग केंद्र के बीके मीना, सन्ध्या शर्मा, रजनी शर्मा, वंदना शर्मा, सपना शर्मा, मीना चौधरी, पूनम अग्रवाल, शरद अग्रवाल, लखन भाई, राजेश शर्मा, श्रीराम गुप्ता, संगीता ठाकुर, शशि सूरी, शीतल सूरी, दुर्गा, सविता सहित बड़ी संख्य में लोग मौजूद रहे। गीता ज्ञान यज्ञ समारोह में राजयोग केंद्र द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुत किए गए। बीके लक्ष्मी ने नगर के सभी श्रदालुओं से सप्तदिवसीय आयोजन में ज्ञान लाभ अर्जित करने आग्रह किया है।

मनुष्य को अहंकार का भाव नहीं रखना चाहिए: राधे महराज
कटनी. उपनगरीय क्षेत्र छपरवाह के श्री श्री 1008 दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर में चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के सांतवें दिन रविवार को कथावाचक पंडित मनोज तिवारी (राधे महराज) ने सुदामा चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि जगदीश्वर भगवान श्री कृष्ण स्वयं अपने गरीब मित्र सुदामा को दोनों लोकों का सुख ऐश्वर्य प्रदान करते हैं। उसी प्रकार भगवान के प्रति भक्त की सच्ची श्रद्धा होने पर सभी सुख, शांति व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इस संसार में जन्म लेने वाले मनुष्य को अपने अंदर कभी भी अहंकार का भाव नहीं रखना चाहिए। उन्होंने सुदामा चरित्र में सुदामा व श्रीकृष्ण के प्रति सच्ची मित्रता का वर्णन किया। उन्होंने आगे कहा कि नारियों का हमेशा हमे सम्मान करना चाहिए। जहां मातृ स्वरूपा का सम्मान होता है वहीं लक्ष्मी हमेशा वास करती हैं। भागवत कथा के प्रथम सत्र में सुबह के समय प्रतिदिन अभिषेक, श्रीयज्ञ, तुलसी पूजन व भगवान श्रीराम की आरती की जाती है। भागवत कथा के दौरान वामन अवतार श्री कृष्ण जन्म प्रसंग सहित अन्य प्रसंगों की आकर्षक झांकियां भी प्रस्तुत की गई। बच्चों ने रूप धारण कर प्रस्तुति देकर भक्तों का मन मोह लिया। कथा के मुख्य यजमान अमृतलाल शुक्ला व शांतिदेवी शुक्ला हैं। कथा में महेश शुक्ला, कृष्णदत्त शुक्ला, कैलाश शुक्ला, राजकुमार शुक्ला, पार्षद दिनेश मिश्रा, बलराम पयासी, रमेश पयासी, विवेक शुक्ला, अधिवक्ता मनीष शुक्ला, मुरलीधर मिश्रा, प्रभूदत्त मिश्रा, डॉ. संजय शुक्ला, जल उपभोक्ता संस्था सदस्य रमैया गौतम, सतीश शुक्ला, कृपाशंकर शुक्ला, रजनीश शुक्ला, सत्येन्द्र शुक्ला, शैलेष शुक्ला, सुधीर शुक्ला, संदीप शुक्ला, संजय शुक्ला, विनीत शुक्ला, अंकित शुक्ला, सुमित शुक्ला, शशांक शुक्ला, नितिन शुक्ला, बालकृष्ण शुक्ला, शिवमूरत शुक्ला, प्रमोद मिश्रा, विमोद मिश्रा, कौशल पयासी, रामकिशोर पयासी, बहोरन पयासी, पुरूषोत्तम विश्वकर्मा, रमन विश्वकर्मा, सुरेश विश्वकर्मा, रामविशाल यादव, कमलेश यादव, राजेश यादव, लुकईराम विश्वकर्मा, रामसुजान विश्वकर्मा, रवि विश्वकर्मा, मनोज विश्वकर्मा, पंडा पूरन बर्मन, मथुरा बर्मन, घुर्री बर्मन, राममिलन चौधरी, घसीटा चौधरी, संतोष चौधरी सहित भारी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।

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