विद्यार्थियों ने रखी अपनी बात
कोविड 19 के कारण मध्यप्रदेश के सभी महाविद्यालयों में इस सत्र की परीक्षा नही हो पाईं। मध्यप्रदेश राज्यपाल लालजी टंडन ने आदेश जारी किया कि प्रदेश में महाविद्यालय के छात्रों को जनरल प्रमोशन नहीं दिया जाएगा। यह फैसला सही है। इस फैसले का मैं स्वागत करती हूं। ये आदेश से यह तय होता है कि छात्र अपनी काबिलियत पर परीक्षा दे कर भविष्य का रास्ता स्वयं तय करें।
साध्वी निगम, कॉलेज छात्रा।
अभाविप हमेशा से ही छात्र हित के कार्य करती रही है। आज हमें वैकल्पिक मूल्यांकन पद्धति की ओर सोचना पड़ेगा और जब स्थिति सामान्य हो तब विश्वविद्यालय अपनी परीक्षा करवाए। साथ ही मेरा साथियों से प्रश्न भी है कि यदि आने वाले साल में भी कोरोना खत्म नही हुआ तो क्या ये हर साल जनरल प्रमोशन मांगेंगे।
मृदुल मिश्रा, प्रान्त सह संगठन मंत्री अभाविप।
प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था वैसे भी लचर है और यहां सतत मूल्यांकन केवल एक औपचारिक मात्र होता है। इस औपचारिकता को पूर्ण करने के लिए स्वयं टीचर्स को छात्र को बुलवाना पड़ता है। जिससे सतत मूल्यांकन परीक्षा पूर्ण हो जाए। स्वयं आप स्टूडेंट से सर्वे करा सकते हैं कितनों ने परीक्षा दी। जनरल प्रमोशन उचित नही। परीक्षा तो पूरे सत्र का मूल्यांकन है कि छात्र ने वास्तव किया क्या। वही मूल्यांकन उसके भविष्य को तय करेगा।
अंजनेय तिवारी, वरिष्ठ छात्र नेता।
विद्यार्थियों के हित के लिए जनरल प्रमोशन जैसे शब्दों का उपयोग नहीं होना चाहिए। वैश्विक महामारी को ध्यान में रखते हुए मप्र शासन को वैकल्पिक प्रश्नों के आधार पर परीक्षा का आयोजन किया जाना चाहिए। जो भी छात्र संगठन इस फैसले का विरोध कर रहे है, उनके लिए एक संदेश है, कि छात्रों को अपनी काबिलियत पर उसके भविष्य का रास्ता तय करने दे जिससे हमारा प्रदेश एक समृद्ध राज्य की ओर अग्रसर हो।
सोनल वाधवा, नगर छात्रा प्रमुख अभाविप।