सरकार द्वारा कलेक्टर गाइडलाइन में कमीं का निर्णय लेने के साथ ही पंजीयन शुल्क विभाग के अधिकारियों की चिंता बढ़ गई है। बीते चार साल से रजिस्ट्री लक्ष्य तक नहीं पहुंचने वाले विभाग के अधिकारी कह रहे है कि शुल्क कम होने से राजस्व में कमीं आएगी और लक्ष्य की तुलना में कम राजस्व प्राप्त होगा।
हालांकि जिले के वरिष्ठ अधिवक्ता सुजीत द्विवेदी का कहना है कि प्रदेश सरकार के निर्णय के बाद रजिस्ट्री के दौरान आमजनों को सीधा लाभ होगा। बीते चार साल के दौरान 8 से 10 हजार रजिस्ट्री होती है। इस संख्या में निश्चित तौर पर इजाफा होगा। लेन-देन बढ़ेगा और ज्यादा रजिस्ट्री होने के बाद सरकार को राजस्व में भी लाभ होगा।
डेढ़ लाख सालाना के एप का डेवलपर ने मांगा 14 लाख तो प्रशासन ने कहा बनवाएंगे सरकारी एप जिला पंजीयक नवमीदास चौकीकर ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा कलेक्टर गाइडलाइन में बीस प्रतिशत शुल्क कम करने और परिवार के बीच संपत्ति हस्तांतरण में शुल्क कम करने की जानकारी मिली है। विस्तृत आदेश का इंतजार है।
बीते चार साल में जिले में हुई रजिस्ट्री पर नजर डालें तो 2015-16 में 50 करोड़ लक्ष्य की तुलना में 10 हजार 46 रजिस्ट्री में 49 करोड़ 23 लाख रुपये का राजस्व मिला। 16-17 में 60 करोड़ रुपये लक्ष्य की तुलना में 8 हजार 820 रजिस्ट्री में 45 करोड़ 49 लाख रुपये, 17-18 में 55 करोड़ की तुलना में 10 हजार 401 रजिस्ट्री में 50 करोड़ 74 लाख रुपये और 18-19 में 60 करोड़ लक्ष्य में 11 हजार 179 रजिस्ट्री में 56 करोड़ 45 लाख रुपये राजस्व मिला।