केंद्रवार आबादी व लक्ष्य
केंद्र का नाम जनसंख्या टारगेट एचीवमेंट
जिला अस्पताल १३१४२६ ९८५ ३८
बड़वारा ११२७१० ८४५ ०२
बरही ११२३८३ ८४५ ०१
बहोरीबंद २१५८१८ १६१५ ०६
कन्हवारा २६९८५० २०२० ४८
उमरियापान १९३०२९ १४४५ ०४
विजयराघवगढ़ २२८९२३ १७१० ०१
रीठी १३८११३ १०३५ ०४
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टोटल १४०२२५२ १०५०० १७०
मात्र ६३.२३ फीसदी लक्ष्य
जिम्मेदारों द्वारा रुचि न लेने के कारण परिवार नियोजन की योजना लक्ष्य को हासिल नहीं कर पा रहा है। वित्तीय वर्ष २०१६-१७ में मात्र ६३.२३ फीसदी ऑपरेशन हुए थे। स्वास्थ्य विभाग को ९५०० ऑपरेशन कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसमें मात्र ६ हजार ७ का ही ऑपरेशन हो सका था। सबसे ज्यादा कमजोर स्थिति जिला अस्पताल की रही है। यहां पर मात्र ४७.४२ प्रतिशत लक्ष्य को हासिल किया गया था।
प्रोत्साहन राशि भी नहीं आ रही काम
योजना को सफल बनाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर नित नई योजनाएं बनीं लेकिन योजना लक्ष्य तक नहीं पहुंचा पा रही है। ऑपरेशन कराने वाले हितग्राही, प्रेरक, चिकित्सक सहित अन्य स्टॉफ के प्रोत्साहन राशि में भी बढ़ोत्तरी हुई, लेकिन टारगेट एचीव नहीं हो पा रहा है। विभाग के अनुसार महिला हितग्राही को २ हजार अंतराल नसबंदी, ३ हजार रुपए प्रसव के बाद ऑपरेशन पर व पुरुषों को ३ हजार कर दी गई है। इसी प्रकार प्ररक को ३०० से ४०० रुपए दिए जा रहे हैं। ड्रग्स, ड्रेसिंग, आईपी को १०० रुपए प्रतिकेस के मान से निर्धारित है। ऑपरेशन में सर्जन को २०० से लेकर ४००, निश्चेतना चिकित्सक को ५० से ७५ रुपए, नर्स को ४० से ५० रुपए, ओटी टैक्नीशियन को ४० से ५० रुपए, क्लर्क को २० से ३० रुपए, रिफ्रेशमेंट को १० से २० रुपए व अन्य खर्च में १० से २० रुपए खर्च किए जा रहे हैं। बावजूद इसके लक्ष्य का यह आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग के कवायदों की पोल खोल रहा है। वहीं निजी अस्पतालों में ऑपरेशन पर संस्था को २५०० से ३ हजार रुपए, हितग्राही को एक हजार रुपए दिए जा रहे हैं, इसके बाद भी लक्ष्य की रफ्तार कई गुणा पीछे चल रही है।
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इनका कहना है
परिवार नियोजन के लक्ष्य को पूरा करने के लिए टीम के सभी अधिकारियों को विशेष निर्देश दिए गए हैं। अक्टूबर माह से मार्च तक इसे पूरा किया जाएगा।
डॉ. अशोक अवधिया, सीएमएचओ।