ये है खास-खास
– गर्भवती महिला व गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता का अभाव।
– आंगनबाड़ी व हेल्थ सेंटर में सही पौष्टिक आहार न मिलना, प्रोटिन विटामिन की कमी।
– महिला के स्वास्थ्य को लेकर अभियान में स्वास्थ्य विभाग द्वारा गंभीर न होना।
– बाल विवाह, प्रसवपूर्व और बाद में पूरी जांच न होना, स्तनपान सहित टीकाकरण।
ये है आंकड़ा
वर्ष बच्चों की मौत
2018-19 1116
2017-18 960
2016-17 497
ये बने मौत के कारण
बच्चों की मौत का कारण समय से पहले जन्म लेने के कारण होने वाली जटिलताएं, विलंबित और जटिल प्रसव, निमोनिया, सेप्सि और अतिसार यानी संक्रमण है। इसी प्रकार जन्मजात असामान्यताएं, समय पूर्व जन्म, जन्म के समय वजन कम होना, निमोनिया, एस्फेक्सिया, जन्म आघात, अन्य गैर संचारी बीमारियां, डायरिया, जन्मजात विसंगतियां आदि बताई जा रही हैं।
यह है मौत की हकीकत
मौत दिन और उम्र 2018-19 2017-18 2016-17
24 घंटे में मौत 131 139 32
01 से 28 दिन में सेप्सिस से 56 61 08
04 सप्ताह में अन्य कारणों से 268 302 135
12 माह में निमोनिया से 53 81 67
12 माह में डायरिया से 02 04 02
12 माह में बुखार से 13 28 19
12 माह में मीजल्स से 03 00 01
05 साल के बच्चों की मौत 184 143 102
05 साल तक बुखार से 09 27 13
05 साल तक अन्य कारण से 76 112 102
ये उपाय हैं जरूरी
– स्वास्थ्य संस्थाओं और सेवाओं का सुदृढ़ीकरण।
– बाल विवाह को पूरी तरह रोका जाना।
– बेहतर पोषण व्यवस्था, आंगनवाड़ी सेवाओं को मजबूती।
– प्रसवपूर्व और बाद में पूरी जांच, स्तनपान।
– पूर्ण टीकाकरण।
इनका कहना है
यह मामला बेहद गंभीर है। बच्चों की मौत का आंकड़ा बढ़ा रहा है तो तत्काल इसके वास्तविक कारणों को पता किया जाएगा। सीएमएचओ और सीएस से चर्चा की छोटे से लेकर बड़े बिंदु पर कार्ययोजना बनाएंगे। जच्चा और बच्चा की सुरक्षा के लिए विशेष पहल की जाएगी।
केवीएस चौधरी, कलेक्टर।