बजट के बाद भी नहीं सुधरे हालात
स्वच्छता के नाम पर हर साल लाखों रुपए पानी की तरह बहाये जा रहे हैं, लेकिन अभी भी हर ओर गंदगी पनप रही है। जिसका प्रमाण जिले में बढ़ रही बीमारियां हैं। गंदगी में पनपने वाले मच्छर से मलेरिया का डंक लोगों को न सिर्फ कमजोर बना रहा है, बल्कि मौत के मुंह में धकेल रहा है। हर साल मच्छर जनित बीमारियों ने नियंत्रण के लिए 25 लाख रुपये से अधिक बजट आ रहा है, फिर भी स्थिति नहीं सुधरी। जिले और प्रदेश में 2015 में उमरियापान में अचानक बढ़े मलेरिया के मरीज ने स्वास्थ्य विभाग की नींद उड़ा दी थी। सर्वे में सामने आया था कि गंदगी के कारण बीमारी भयावह हुई है। एनुअल पैरासाइट इंसीडेंस की अबादी वाले गांव में जिला मलेरिया विभाग द्वारा लोगों की सूची विभाग को भेज दी है, लेकिन अबतक मच्छरदानी नहीं मिलीं।
यह हैं सालवार मरीजों की स्थिति
वर्ष मरीज
2015 889
2016 649
2017 587
2018 520
—————
योग- 2645
——————
मलेरिया नियंत्रण को लेकर खास-खास
– मलेरिया नियंत्रण में हर वर्ष खर्च किये जा रहे 5 से 6 लाख रुपये।
– 2017 से प्राइवेट अस्पतालों से मंगाई जा रहे मलेरिया की रिपोर्ट।
– उमरियापान में अभी आई हैं वितरण के लिए 24 हजार 750 मच्छरदारी।
– एनाफिलीज मच्छर के काटने से मलेरिया के शिकार हो रहे लोग।
खास तरीके की बंटनी हैं मच्छरदानी
स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को मच्छरदानी बांटने की जो योजना बनाई है वे मच्छरदानियां एकदम अलग होंगी। केंद्र सरकार ने इन मच्छरदानियों को कीटनाशक युक्त बनाया जा रहा है। इसके धागों में कीटनाशक एम्बेडेड रहेगा। इसे धुला भी जा सकेगा। खास बात यह है कि इस मच्छरदानी में जैसी ही मच्छर बैठेगा उसे लकवा लग जाएगा।
ऐसे फैलता है मलेरिया
मलेरिया के लक्षण हैं बुखार, कंपकंपी, पसीना आना, सिरदर्द, शरीर में दर्द, जी मचलना और उल्टी होना। जिला मलेरिया अधिकारी के अनुसार मलेरिया एक परजीवी रोगाणु से होता है, जिसे प्लास्मोडियम कहते हैं। ये रोगाणु एनोफेलीज जाति के मादा मच्छर में होते हैं और जब यह किसी व्यक्ति को काटती है, तो उसके खून की नली में मलेरिया के रोगाणु फैल जाते हैं। ये रोगाणु व्यक्ति के कलेजे की कोशिकाओं तक पहुंचते हैं और वहां इनकी गिनती बढ़ती है। जब कलेजे की कोशिका फटती है, तो ये रोगाणु व्यक्ति की लाल रक्त कोशिकाओं पर हमला करते हैं। जब भी लाल रक्त कोशिका फटती है, तो व्यक्ति में मलेरिया के लक्षण नजर आते हैं।
इनका कहना है
वन एपीआइ एनुअल पैरासाइड इंसीडेंस वाले एरिया में 2015 सर्वे कराया गया था। जिले के 57 हजार लोगों को शीघ्र ही कीटनाशक युक्त मच्छरदानियों का वितरण किया जाएगा, ताकि संक्रमण से लोगों को बचाया जा सके। उमरियापान की 25 हजार 750 मच्छरदानी आ गई हैं। विभाग के निर्देश पर वितरण किया जायेगा।
शालिनी नामदेव, जिला मलेरिया अधिकारी।