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कटनी

मच्छरों को 4 साल पहले लगवाना था लकवा, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की सामने आई बड़ी बेपरवाही

57 हजार मलेरिया पीडि़त परिवारों को पांच साल से मच्छरदानी का इंतजार, 2015 में फैले मच्छरों के प्रकोप के बाद होना था विशेष मच्छरदानियों का वितरण, स्वास्थ्य विभाग की बेपरवाही उजागर

कटनीJan 25, 2019 / 11:53 am

balmeek pandey

patrika

Health department is careless about malaria control

कटनी. वर्ष 2015 में मच्छरों के कहर ने स्वास्थ्य विभाग से लेकर सरकार की नींद उड़ा दी थी। सरकार को विशेष सर्वे कराना पड़ा था और मच्छरों से बचाने के लिए मच्छरदानी का वितरण करने निर्णय लिया गया था। जिले में 57 हजार 100 लोगों को मच्छरदानी का वितरण किया जाना था। लगभग 5 साल का समय बीत गया है, लेकिन अबतक मच्छरदानी नहीं आईं। उल्लेखनीय है कि 1एपीआइ से ज्यादा वाले गांव में याने कि एक हजार आबादी में एक मलेरिया के मरीज पाये जाने पर मच्छरदानी का वितरण होना था। स्वास्थ्य विभाग की बेपरवाही के चलते अबतक लोगों को मच्छरदानी नसीब नहीं हुई हैं। बता दें कि सितंबर माह सबसे संक्रामक होता है, इस माह में मच्छर ज्यादा अटैक करते हैं, यह माह भी बात गया, लेकिन अबतक मच्छरदानी मुख्यालय से नहीं आईं। उक्त मच्छरदानियों का वितरण जीएएफएटीएम (ग्लोबल फंड फॉर एड्स ट्यूबर क्लोसिस मलेरिया) विभाग द्वारा वितरण कराया जाना है। मलेरिया का सबसे ज्यादा प्रकोप उमरियापान में क्षेत्र में रहा है। मच्छरदानी का वितरण मलेरिया उमरियापान क्षेत्र के 9 सब सेंटर बांध, देवरी फाटक, इटवा, कटरिया, परसेल, उमरियापान, मुरवारी, कारोपानी, मझगवां के सभी ग्रामों में वितरण होना है। इसके अलावा रीठी के देवरीकला, मझगवां, उमरिया, रीठी, बहोरीबंदी का सिंदुरसी, बड़वारा, बरही, विगढ़ का नन्हवारा, विजयराघवगढ़ मुख्यालय, कटनी का कन्हवारा में मच्छरदानियों का वितरण होना है।

बजट के बाद भी नहीं सुधरे हालात
स्वच्छता के नाम पर हर साल लाखों रुपए पानी की तरह बहाये जा रहे हैं, लेकिन अभी भी हर ओर गंदगी पनप रही है। जिसका प्रमाण जिले में बढ़ रही बीमारियां हैं। गंदगी में पनपने वाले मच्छर से मलेरिया का डंक लोगों को न सिर्फ कमजोर बना रहा है, बल्कि मौत के मुंह में धकेल रहा है। हर साल मच्छर जनित बीमारियों ने नियंत्रण के लिए 25 लाख रुपये से अधिक बजट आ रहा है, फिर भी स्थिति नहीं सुधरी। जिले और प्रदेश में 2015 में उमरियापान में अचानक बढ़े मलेरिया के मरीज ने स्वास्थ्य विभाग की नींद उड़ा दी थी। सर्वे में सामने आया था कि गंदगी के कारण बीमारी भयावह हुई है। एनुअल पैरासाइट इंसीडेंस की अबादी वाले गांव में जिला मलेरिया विभाग द्वारा लोगों की सूची विभाग को भेज दी है, लेकिन अबतक मच्छरदानी नहीं मिलीं।

यह हैं सालवार मरीजों की स्थिति
वर्ष मरीज
2015 889
2016 649
2017 587
2018 520
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योग- 2645
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मलेरिया नियंत्रण को लेकर खास-खास
– मलेरिया नियंत्रण में हर वर्ष खर्च किये जा रहे 5 से 6 लाख रुपये।
– 2017 से प्राइवेट अस्पतालों से मंगाई जा रहे मलेरिया की रिपोर्ट।
– उमरियापान में अभी आई हैं वितरण के लिए 24 हजार 750 मच्छरदारी।
– एनाफिलीज मच्छर के काटने से मलेरिया के शिकार हो रहे लोग।

खास तरीके की बंटनी हैं मच्छरदानी
स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को मच्छरदानी बांटने की जो योजना बनाई है वे मच्छरदानियां एकदम अलग होंगी। केंद्र सरकार ने इन मच्छरदानियों को कीटनाशक युक्त बनाया जा रहा है। इसके धागों में कीटनाशक एम्बेडेड रहेगा। इसे धुला भी जा सकेगा। खास बात यह है कि इस मच्छरदानी में जैसी ही मच्छर बैठेगा उसे लकवा लग जाएगा।

ऐसे फैलता है मलेरिया
मलेरिया के लक्षण हैं बुखार, कंपकंपी, पसीना आना, सिरदर्द, शरीर में दर्द, जी मचलना और उल्टी होना। जिला मलेरिया अधिकारी के अनुसार मलेरिया एक परजीवी रोगाणु से होता है, जिसे प्लास्मोडियम कहते हैं। ये रोगाणु एनोफेलीज जाति के मादा मच्छर में होते हैं और जब यह किसी व्यक्ति को काटती है, तो उसके खून की नली में मलेरिया के रोगाणु फैल जाते हैं। ये रोगाणु व्यक्ति के कलेजे की कोशिकाओं तक पहुंचते हैं और वहां इनकी गिनती बढ़ती है। जब कलेजे की कोशिका फटती है, तो ये रोगाणु व्यक्ति की लाल रक्त कोशिकाओं पर हमला करते हैं। जब भी लाल रक्त कोशिका फटती है, तो व्यक्ति में मलेरिया के लक्षण नजर आते हैं।

इनका कहना है
वन एपीआइ एनुअल पैरासाइड इंसीडेंस वाले एरिया में 2015 सर्वे कराया गया था। जिले के 57 हजार लोगों को शीघ्र ही कीटनाशक युक्त मच्छरदानियों का वितरण किया जाएगा, ताकि संक्रमण से लोगों को बचाया जा सके। उमरियापान की 25 हजार 750 मच्छरदानी आ गई हैं। विभाग के निर्देश पर वितरण किया जायेगा।
शालिनी नामदेव, जिला मलेरिया अधिकारी।

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