जानकारी के मुताबिक कमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट ने कटनी की कंपनी पर 22 लाख का जुर्माना लगाया था। इसके बाद कंपनी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इस याचिका पर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की फिर ये फैसला सुनाया जिसके तहत हाईकोर्ट ने कमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट के 22 लाख के जुर्माने को 1000 रुपए में बदल दिया।
बताया जा रहा है कि दरअसल कटनी की कंपनी ने टनल बोरिंग के पार्ट्स खराब होने पर अमेरिका से पार्ट्स मंगवाए थे। मुंबई पोर्ट पर इसका कस्टम क्लीयरेंस हुआ और पूरा टैक्स चुकाया गया। इस बीच जब मुंबई से माल भरकर ट्रक कटनी की ओर निकला तो जीएसटी के अधिकारियों ने ई-वे बिल की जांच की। जांच में एड्रेस तो गलत था, लेकिन दूरी सही लिखी हुई थी। इस पर अधिकारियों ने बिल में एड्रेस की गलती के आधार पर 22 लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया। बाद में कंपनी ने इस मामले में ज्वाइंट कमिश्नर के समक्ष अपील भी की, लेकिन अपील को खारिज कर दिया गया।
इसके बाद कंपनी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने तमाम तर्कों को सुनने के बाद कमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा ई-वे बिलl में गलत पते के आधार पर लगाए गए जुर्माने को सीएसटी के 18 सितंबर 2018 के सर्कुलर के अनुसार करने का आदेश दिया है। इस सर्कुलर के मुताबिक यह पेनल्टी 1 हजार रुपए हो जाती है।
जानकारों के मुताबिक जीएसटी एक्ट की धारा 129 के तहत जुर्माने की यह कार्रवाई की जा रही है। याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक ध्यानी के मुताबिक जीएसटी के अधिकारी इन दिनों छोटी-छोटी तकनीकी त्रुटि के आधार पर जुर्माना लगा रहे हैं। हाईकोर्ट का यह फैसला ऐसी कार्रवाइयों के खिलाफ मील का पत्थर साबित होगा।