इन फर्मों ने भी नहीं लिए लायसेंस, जांच में खुलासा
– स्पाली रेस्टारेंट-जिला अस्पताल के सामने
– मेघा लस्सी साधूराम स्कूल के पास
– फूड आयलैंड-सुभाष चौक
– नायक किराना बहोरीबंद
– नास्ता ही नास्ता, गर्ग चौराहा
– गुप्ता होटल, गायत्री नगर
क्या है खाद्य सुरक्षा एवं मानक कानून
खाद्य सुरक्षा एवं मानक कानून 2006 के तहत कोई भी व्यक्ति बिना लाइसेंस खाद्य बिजनेस नहीं कर सकता है। इस कानून में खाद्य बिजनेस से मतलब ऐसे प्रॉफिट, नॉन-प्रॉफिट सरकारी, निजी प्रतिष्ठानों से है जो मैन्युफैक्चरिंग, प्रोसेसिंग, पेकेजिंग, स्टोरेज, ट्रांसपोर्टेशन, डिस्ट्रीब्यूशन, आयात या बिक्री का काम करते हैं। हर होटल-रेस्टारेंट में अथॉरिटी द्वारा तय पाठ्यक्रम की डिग्री और प्रशिक्षण लिए हुए कम से कम एक फूड सेफ्टी सुपरवाइजर नियुक्त करना जरुरी है।
यह भी करना जरुरी
होटल के डिस्प्ले बोर्ड में लाइसेंस और फूड इंस्पेक्टर का नंबर लगाना जरूरी है। नियामक के नए निर्देश के मुताबिक फूड ऑपरेटर्स को अपने परिसर में लाइसेंस ऐसी जगह डिस्प्ले करना होता जहां से वह साफ दिखे। डिस्प्ले बोर्ड में कस्टमर केयर का नंबर भी अंकित होना चाहिए। नियामक के नए निर्देश के मुताबिक एफएसएसएआई का लाइसेंस उन धार्मिक स्थलों के लिए भी जरूरी है, जहां खाना मुफ्त में उपलब्ध कराया जाता है। लाइसेंस लेने के बाद फूड बिजनेस करने वाले को फूड सेफ्टी मैनेजमेंट प्लान भी देना पड़ता है।
इन्हें लायसेंस लेना अनिवार्य
नियम के मुताबिक जिले की आबादी के अनुरूप एक प्रतिशत फूड सेफ्टी लायसेंस होना चाहिए। जिले की आबादी लगभग १३ से १४ लाख है। इन अनुसार से १३०० से ऊपर पंजीयन होना चाहिए, लेकिन मात्र ६ हजार ही लायसेंस हैं। अधिकांश नियम विरुद्ध तरीके से प्रतिष्ठान चल रहे हैं। फूड सेफ्टी लायसेंस किराना, होटल, रेस्टारेंट, दूध डेयरी, रिटेलर, कैटरर, शराब दुकान, स्कूल-कॉलेज कैंटीन, मुर्गा-मीट डीलर, वेयर हादस, डिस्ट्रीब्यूटर, डीलर, फूड ट्रांसपोर्टर, मैन्युफैक्चरर, फल, सब्जी विक्रेता आदि को लेना अनिवार्य है।
इनका कहना है
नियमों का पालन न करने वाले संबंधित व्यापारी व कारोबारियों के जांच कराई जाएगी। जांच में दोषी पाए जाने पर नियमानुसार कार्रवाई होगी।
डॉ. अशोक अवधिया, अभिहित अधिकारी, खाद्य सुरक्षा प्रशासन कटनी।