scriptआप भी करते हैं अगर रेल में सफर तो आपके लिए बेहद जरूरी है ये खबर | If you travel in the train, then read this news | Patrika News

आप भी करते हैं अगर रेल में सफर तो आपके लिए बेहद जरूरी है ये खबर

locationकटनीPublished: Jun 05, 2019 12:29:22 am

Submitted by:

sudhir shrivas

इन मामलों में कर सकते हैं रेलवे पर हर्जाने का दावा

Railway news : Jabalpur division made a record  of fine collection

Railway news : Jabalpur division made a record of fine collection

कटनी। लखनऊ से जबलपुर लौटते वक्त एसी कोच में जबलपुर की एक महिला प्रोफेसर का पर्स चोरी हो गया, जिसमें लाखों के जेवर और रुपए थे। अब तक उस सामान का पता नहीं लग सका है। चोरी गए सामान की कीमत अब रेलवे को देना होगी। सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश ने रेल यात्रियों को यह सुविधा दिला दी है। इसके लिए पीडि़त यात्री को उपभोक्ता फोरम में रेलवे की सेवा में कमी का मामला दायर करना होगा। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के मुताबिक रिजर्व कोच में अनाधिकृत व्यक्ति का प्रवेश रोकना टीटीई की जिम्मेदारी है और अगर वह इसमें नाकाम रहता है तो रेलवे सेवा में खामी मानी जाएगी।

कैसे मिला अधिकार

फरवरी 2014 में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने ट्रेन से चोरी गए महिला डॉक्टर के सामान की राशि का भुगतान रेलवे को करने का आदेश दिया। रेलवे ने इस पर दलील दी कि ये मामला रेलवे क्लेम टिब्यूनल में ही सुना जा सकता है जबकि यात्री के वकील के मुताबिक टिब्यूनल में सिर्फ रेलवे में बुक पार्सल के मामलों को ही सुना जाता है। न्यायमूर्ति सीके प्रसाद और पिनाकीचंद्र घोष की पीठ ने 17 साल पुराने इस मामले में रेलवे की दलील को खारिज कर दिया और राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया। यह अधिकार यात्रियों के लिए जितना सुविधाजनक है, उतना ही रेलवे और पुलिस के लिए मुश्किल भरा। इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि इसकी जानकारी यात्रियों को नहीं है और न ही इस जानकारी को उन तक पहुंचाने के लिए कोई कारगर कदम उठाए गए हैं।

छह माह करना होगा इंतजार

चोरी गए सामान को तलाशने के लिए जीआरपी के पास छह माह का वक्त होगा। इस दरमियान यदि पुलिस पीडि़त का सामान नहीं तलाश पाती तो वह उपभोक्ता फोरम जा सकता है। इसके लिए एफआईआर दर्ज कराते समय पुलिस को पीडि़त से उपभोक्ता फोरम फार्म भरवाना होगा। ओरिजनल कॉपी पीडि़त के पास होगी और पुलिस कार्बन कॉपी अपने पास रखेगी। एफआईआर और फार्म ही यात्री का मूल दस्तावेज होगा, जिसके आधार वह केस दर्ज कराएगा।

ये हैं आपके अधिकार

यह सुविधा सिर्फ स्लीपर या एसी कोच में रिजर्वेशन कराने वाले यात्रियों के लिए है। उपभोक्ता फोरम के जानकार एडवोकेट बताते हैं कि रिजर्वेशन के दौरान यात्री से 2 रुपए सुरक्षा शुल्क लिया जाता है। इधर, ट्रेन में स्लीपर कोच यात्री को दिया जाता है, जिसके बाद यह तय होता है कि आपने उस ट्रेन में सोने का अधिकार दिया है और इस दौरान जो भी घटना होती है, उसका जिम्मेदार रेलवे ही होगा। ट्रेन के स्लीपर या एसी कोच में यात्रा करते समय यात्री का सामान चोरी होता है तो शिकायत दर्ज करते वक्त उससे उपभोक्ता फोरम का फार्म भरवाया जाता है। यदि 6 माह तक पुलिस उसका सामान नहीं तलाश पाती तो वह फार्म की कॉपी ले जाकर उपभोक्ता फोरम में मामला दर्ज कर सकता है, जहां पर रेलवे को पीडि़त का हर्जाना देना होगा।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो