बात बरही तहसील क्षेत्र की हो तो यहां कुछ कंपनियां मनमाने तरीके से अवैध खनन कर अपने रेत कारोबार को दिन दूना रात चौगुना बढ़ाने में जुटे हैं। क्षेत्रीय लोगों के मुताबिक जाजागढ़ पिपही नदी में स्वीकृत खदान से मनमाने तरीके रेत निकाली जा रही है। उससे लगी वन विभाग की पिपही नदी भी सुरक्षित नहीं हैं। वहां से रेत निकाली जा रही है। यही नहीं यहां रात में भी रेत की ढुलाई जारी है। इससे वन्य प्राणियों के सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। इनकी सुरक्षा वन विभाग के अधिकारियों के ऊपर हैं लेकिन वे बेपरवाह बने हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि नदियां छोटी हों या बड़ी रेत, मनमाने तरीके से मशीनों से निकाली जा रही है। सारे कायदे कानून को दरकिनार कर रेत खनन व ढुलाई जारी है। बड़े पैमाने पर अंधाधुंध खनन किया जा रहा है। ग्रामीण कहते है कि रात- दिन नदी में मशीन से खोदाई कर रेत निकाली जा रही है। ट्रक, हाइवा व ट्रेक्टर से ढुलाई हो रही है। ओवर लोडेड हाइवा ने प्रधानमंत्री सड़क की सूरत बिगाड दी है। इससे सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई है।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि अवैध खनन से छोटी-छोटी नदियों का अस्तित्व ही खतरे में आ गया है। रेत जहां से भी निकल सकती है नियमों को ताक पर रखकर निकाली जा रही है। इससे नदियों व जल जीवों पर जल संकट मंडराने लगा है। महानदी उमड़ार, पिपही नदी में रेत का कारोबार धडल्ले से चल रहा है।