scriptएमपी के इस नगर में हर सांस में फैल रही गंभीर बीमारी, फिर भी मौन अफसर | In this city of MP there is a serious disease spreading in every brea | Patrika News

एमपी के इस नगर में हर सांस में फैल रही गंभीर बीमारी, फिर भी मौन अफसर

locationकटनीPublished: Dec 07, 2017 09:36:20 pm

Submitted by:

dharmendra pandey

ग्रामीणों को बचाने जिला प्रशासन व स्वास्थ्य अमला भी बना लापरवाह

 yet silent officer

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कटनी. जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर विजयराघवगढ़ तहसील के ग्राम पंचायत बड़ारी, अमेहटा, रजरवारा नंबर-२, मेंहगांव व अमरैयापार पार के ग्रामीणों को टीबी व श्वास की बीमारी ने पूरी तरह से जकड़ लिया है। इन गांवों में प्रदूषण 100 मानक स्तर से अधिक हो गया है। जिसके कारण इन पांचों ग्राम पंचायतों में 80 प्रतिशत से अधिक लोग टीबी व श्वास की बीमारी से ग्रसित है। हर एक ग्रामीण के घर में धूल की परत जमी हुई है। धूल का सही सेवन करना पड़ रहा है। पांचों ग्राम पंचायतों में लगभग ८०००-१०००० लोग निवास करते हैं। इनमें से हर एक तीसरे घर में रहने वाला व्यक्ति टीबी व श्वास की बीमारी से पीडि़त है। पत्रिका टीम ने मौक पर जाकर पड़ताल की तो स्वास्थ्य सेवाएं भी बीमारी से ग्रसित मिली। गांवों के हालात बद से बदतर नजर आए। स्थिति यह है कि टीबी व श्वास की बीमारी से पांचों गांवों के लोग बेहाल है। नवजात बच्चे से लेकर ६० साल की उम्र पार चुके लोग टीबी व श्वास की बीमारी से ग्रसित है।
सालभर के भीतर ५० से अधिक लोग तोड चुके है दम:
पांचों गांवों में ५० से अधिक लोगों की सालभर में मौत भी हो चुकी है। मरने वालों में ४ साल के बच्चों से लेकर ६० साल की उम्रपार कर चुके लोग शामिल है। उसके बाद भी जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग का अमला इन गांवों में रहने वाले लोगों की जिंदगियों को बचाने में लापरवाह बना हुआ है। इसके साथ ही गांवों में जागरूकता का भी अभाव है। स्वास्थ्य महकमे द्वारा जांच शिविर भी नही लगाया जाता है।

१५ दिन तक रहीं वेंटिलेटर में, फिर बचा जीवन:
धूल व धुआं वाले प्रदूषण की वजह से शासकीय माध्यमिक शाला बड़ारी में पढ़ाने वाली शिक्षिक अलका श्रीवास्तव मौत के मुहाने तक पहुंच गई थी। उन्होंने बताया कि १५ दिन तक जबलपुर में वेंटिलेटर पर रहीं। गुडग़ांव गई, वहां पर डॉक्टरों ने गले में ऑपरेशन किया।
समय पर उपचार नही मिला तो खाली हो जाएगा मोहल्ला:
जिला पंचायत सदस्य गुड्डू दीक्षित ने बताया कि बड़ारी गांव के आदिवासी मोहल्ले में ५०० लोग निवास करते है। पांचसाल के भीतर ३५ लोग टीबी की बीमारी का शिकार होकर मर चुके है। अब भी गांव में ५० प्रतिशत लोग इस बीमारी की चपेट में है।

एक्सपर्ट व्यू:
जिस जगह प्रदूषण का मानक स्तर १०० से अधिक हो जाता है, उस गांव में जीवन यापन करना बेहद कठिन हो जाता है। लोग तरह-तरह की बीमारियों का शिकार होते है।
डॉ. सुधीर खरे, प्राध्यापक, भौतिक शास्त्र।
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प्रदूषण की वजह से पांचों गांवों में टीबी व श्वास के मरीजों की संख्या बढ़ी है। इस बीमारी की वजह से कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर जांच की जा रही है।
डॉ. विनोद कुमार, बीएमओ।
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