कोरोना से छिना रोजगार, प्रवासी मजदूर गांव लौटे तो मिला काम
मनरेगा योजना में 46 हजार मजदूरों को प्रतिदिन मिल रहा काम, किसानों की बंजर जमीन पर लौटी हरियाली.

कटनी. कोरोना संकट काल में कमाने के लिए घर छोड़कर बाहर दूसरे प्रदेशों में गए श्रमिकों का रोजगार छिना तो अब गांव लौटने के बाद बारिश के मौसम में भी काम मिल रहा है। यहां प्रवासी मजदूरों के साथ ही ग्रामीणों को गांव में ही काम उपलब्ध कराया जा रहा है। मनरेगा योजना में प्रतिदिन 46 हजार से ज्यादा मजदूरों को काम दिया जा रहा है। वहीं मनरेगा योजना से उन किसानों को भी लाभ मिल रहा है जिनकी जमीन बंजर थी और खेती नहीं कर पा रहे थे। ऐसे किसानों की जमीन में अब खरीफ की फसल लहलहा रही है।
प्रवासी मजदूरों को स्थानीय स्तर पर रोजगार की उपलब्धता के लिये 20 जून से केन्द्र सरकार की 125 दिवसीय योजना के तहत काम उपलब्ध करवाया जा रहा है। इस अभियान का लक्ष्य 341 करोड़ लागत के कार्यों से 27 लाख 72 हजार 167 मानव दिवस के रोजगार उपलब्ध कराने का है। इसमें अब तक 114 करोड़ रूपये व्यय कर 14 लाख 21 हजार 273 मानव दिवस का रोजगार प्रवासी मजदूरों को उपलब्ध करवाया गया है। मनरेगा योजना में जिले में 405 ग्राम पंचायतों में चल रहे 6 हजार 109 निर्माण कार्यों में 46 हजार 108 मजदूरों को प्रतिदिन काम दिया जा रहा है।
इधर, रीठी विकासखंड के ग्राम पंचायत घुघरी सगौड़ी निवासी मथुरा कोल ने बंजर जमीन में मनरेगा से मेढ़ बंधान का काम करवाया। किसान ने बताया कि उनके पास एक हैक्टेयर जमीन थी। जिसमें पानी और सिंचाई का कोई साधन नहीं होने से कोई फसल नहीं ले पाते थे। मेढ़ बंधान कार्य के बाद अब खेत में धान की अच्छी फसल हुई है।
कलेक्टर एसबी सिंह बताते हैं कि कोरोना संकट काल में प्रवासी मजदूरों को काम उपलब्ध करवाने के लिए बारिश के मौसम में मनरेगा योजना से काम उपलब्ध करवाया जा रहा है। योजना का दूसरा लाभ उन किसानों को हुआ है जिनके खेत में मेढ़ बंधान का काम हुआ है। इन किसानों के खेत में फसल अच्छी हुई है।
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